30 अप्रैल को अक्षय तृतीया, 17 साल बाद रोहिणी नक्षत्र और बुधवार दिन का शुभ संयोग
इस वर्ष मनाया जाने वाला अक्षय तृतीया विशेष है. ज्योतिषशास्त्री के अनुसार 17 साल बाद रोहिणी नक्षत्र और बुधवार दिन का शुभ संयोग बन रहा है. ऐसा योग अब 27 साल बाद बनेगा.
हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि अक्षय तृतीया कहलाती है. अक्षय का अर्थ है, जिसका कभी क्षय नहीं हो. जो स्थायी रहे. इस दिन किया गया दान, पूजन, हवन सहित हर पुण्य कार्य अक्षय फल देता है. कोई भी शुभ कार्य और नई शुरुआत के लिए इसे स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है। ज्योतिषशास्त्री के अनुसार, इस वर्ष मनाया जाने वाला अक्षय तृतीया विशेष है. ज्योतिषशास्त्री के अनुसार 17 साल बाद रोहिणी नक्षत्र और बुधवार दिन का शुभ संयोग बन रहा है. ऐसा योग अब 27 साल बाद बनेगा.
युगादितिथि है अक्षय तृतीया
ज्योतिषशास्त्री डॉ. अनिल शास्त्री के अनुसार, 'अक्षय तृतीया के दिन त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी. इसलिए इसे युगादितिथि भी कहते हैं. इस बार तृतीया 29 अप्रैल मंगलवार शाम 5:32 से शुरू हो जाएगी और 30 अप्रैल दोपहर 2.15 बजे तक रहेगी. बुधवार को सूर्योदय व्यापिनी तिथि होने के कारण अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को मनाई जाएगी.
दस महायोग हैं इस दिन
डॉ. अनिल शास्त्री के अनुसार, इस अक्षय तृतीया पर बुधवार और रोहिणी नक्षत्र का शुभसंयोग बन रहा है. इससे पहले 7 मई 2008 को अक्षय तृतीया पर ऐसा संयोग बना था. अब 27 साल बाद 2052 में ऐसा योग बनेगा. इस दिन पारिजात, गजकेसरी, केदार, काहल, हर्ष, उभयचरी और वाशी नाम के सात राजयोग रहेंगे. सर्वार्थसिद्धि, शोभन और रवियोग भी बन रहे हैं. इस तरह दस महायोग में अक्षय तृतीया मनाई जाएगी. इस संयोग में खरीदारी, निवेश, लेन-देन और नई शुरुआत से लाभ मिलता है.
आत्मविश्वास और सकारात्मकता में वृद्धि
अक्षय तृतीया के दिन सोना-चांदी खरीदना शुभ माना जाता है. यह समृद्धि का भी प्रतीक है. सोना और चांदी को धन-धान्य की देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. इस दिन ग्रहों की शुभ स्थिति बनने से हर तरह की खरीदारी और नई शुरुआत लंबे समय तक फायदा देने वाली होगी. स्कन्द पुराण के अनुसार, अक्षय तृतीया पर खरीदा गया सोना समृद्धि देने वाला होता है. धनतेरस, रथ सप्तमी, गुरु पुष्य और रवि पुष्य योग में भी सोना खरीदना अत्यंत फलदायी है. ब्रह्मांड पुराण के अनुसार, सोना शुभ फल देता है. इससे आत्मविश्वास और सकारात्मकता में वृद्धि होती है. इस दिन की गई नई शुरुआत समृद्धि देने वाली होती है. पद्म पुराण के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन कुबेर को देवताओं का खजांची बनाया गया था. इस तिथि पर लक्ष्मी पूजा अवस्य करनी चाहिए, इससे दहन-धान्य में वृद्धि होती है और जीवन में समृद्धि आती है.
इसलिए इस दिन इनकी खरीदारी को स्थायी धन और सौभाग्य की प्राप्ति के रूप में देखा जाता है। हिंदू धर्म में पीली धातु सोने को सबसे पवित्र और अक्षय माना गया है। इसे देवताओं की धातु माना जाता है। इसीलिए अक्षय तृतीया पर सोने की खरीदारी की परंपरा है। पद्म पुराण के मुताबिक, इस तिथि पर कुबेर को देवताओं का खजांची बनाया गया था। इस तिथि पर लक्ष्मी पूजा भी होती है, जिससे जीवन में स्थायी समृद्धि आती है।
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