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अमरनाथ गुफा में दर्शन देते हैं बाबा बर्फानी, क्या है अमरता का रहस्य

बाबा बर्फानी शिवजी जुलाई से अगस्त महीने तक जम्मू-कश्मीर के अमरनाथ गुफा में विराजेंगे. 3 जुलाई से बाबा के भक्त बालटाल और अनन्तनाग के रास्ते भगवान बर्फानी के दर्शन लिए निकाल पड़ेंगे. जानते हैं अमरनाथ शिवलिंगम की कथा और यहां तक कैसे पहुंचें. शिव ही सत्य और सुंदर हैं. बर्फ लिंगम के रूप में बाबा बर्फानी शिवजी अमरनाथ गुफा में अपने भक्तों को दर्शन देते हैं. महादेव शंकर के दर्शनार्थ आज भक्तों का पहला जत्था अमरनाथ यात्रा के लिए जम्मू से रवाना हो गया है. उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भगवती नगर बेस कैंप से यात्रा को हरी झंडी दिखाई. यात्री दोपहर बाद कश्मीर घाटी पहुंचेंगे. हालांकि आधिकारिक तौर पर यात्रा की शुरुआत 3 जुलाई से होगी. यह यात्रा 9 अगस्त तक चलेगी. जानते हैं अमरनाथ शिवलिंगम की कथा और यहां तक कैसे पहुंचें. अमरनाथ शिवलिंगम पौराणिक कथा (Amarnath Gufa Mythological Story) जम्मू -कश्मीर में अमरनाथ गुफा स्थित शिवलिंगम का दर्शन करने के लिए तीर्थयात्री अमरनाथ यात्रा पर जाते हैं. यहां भगवान शिव कुछ विशेष दिनों तक प्राकृतिक बर्फ के शिवलिंग के रूप में विराजते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव ने...

Raksha Bandhan 2025 : शुभ मुहूर्त में बांधें राखी, जानें इसकी कथा और पूजा विधि

Raksha Bandhan 2025 : रक्षा बंधन शनिवार, 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा. पवित्र धागा राखी बांधने का शुभ समय सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक है. जानें रक्षा बंधन की पौराणिक कथा और पूजा विधि. रक्षा बंधन भाई-बहन के पवित्र बंधन का उत्सव मनाने का दिन है. इस अवसर पर बहनें अपने भाइयों की कलाई पर प्यार और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में राखी बांधती हैं. दोनों एक-दूसरे की सुरक्षा और समृद्धि की कामना करते हैं. इस त्योहार की उत्पत्ति के बारे में कई प्रचलित पौराणिक कथायें हैं. सबसे पहले जानते हैं राखी बांधने का शुभमुहूर्त. रक्षा बंधन की तारीख और शुभ मुहूर्त (Raksha Bandhan 2025 Dates & Shubh Muhurt) पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त को दोपहर 2:12 बजे शुरू होगी और 9 अगस्त को दोपहर 1:24 बजे समाप्त होगी. हिंदू धर्म में सूर्य की उदय तिथि महत्वपूर्ण होने के कारण रक्षा बंधन शनिवार, 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा. राखी बांधने का शुभ समय: सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक. क्या है रक्षा बंधन की पूजा विधि (Raksha Bandhan Puja Vidhi) रक्षा बंधन पूजा में बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है. उसकी सलामती की प्...

Lord Kartikey : शक्ति, साहस और वीरता प्राप्त करने के लिए कार्तिकेय की पूजा

Lord Kartikey : दक्षिण भारत में विशिष्ट रूप से पूजे जाने वाले भगवान कार्तिकेय दस सर्वश्रेष्ठ हिंदू देवताओं में से एक माने जाते हैं. देवताओं के सेनापति माने जाने वाले कार्तिकेय की पूजा शक्ति, साहस और वीरता प्राप्त करने के लिए की जाती है. भगवान कार्तिकेय देवताओं के सेनापति माने जाते हैं. देवताओं ने ज्यादातर युद्ध कार्तिकेय के नेतृत्व में जीता है. दक्षिण भारत में कार्तिकेय की विशेष पूजा की जाती है. कार्तिकेय भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र है. भगवान कार्तिकेय के भक्त उन्हें स्कंद कुमार, षडानन, पार्वतीनंदन, शिवसुत और गौरी पुत्र जैसे नामों से भी पुकारते हैं. भगवान कार्तिकेय की पूजा शक्ति, साहस और वीरता प्राप्त करने के लिए की जाती है. उनकी कृपा से नेतृत्व क्षमता, सैन्य साहस और दिशा-निर्देशन की शक्ति प्राप्त होती है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार बचपन में भगवान कार्तिकेय का पालन-पोषण सप्तऋषियों की पत्नियों ने किया था. उन्हें कृत्तिका के नाम से जाना जाता है. कृत्तिका द्वारा पालन-पोषण किए जाने के कारण वे कार्तिकेय के नाम से प्रसिद्ध हुए. भगवान कार्तिकेय की उत्पत्ति स्कंद पुराण के अनु...

Lord Shree Krishna: कर्मयोगी श्री कृष्ण ने फल की चिंता किए बिना कर्म करने का दिया संदेश

Lord Shree Krishna : मान्यता है कि चार चक्रीय युगों में से द्वापर युग के दौरान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. वर्तमान युग जिसे कलियुग के रूप में जाना जाता है, भगवान कृष्ण की मृत्यु के बाद शुरू हुआ. कर्मयोगी श्री कृष्ण ने अपने भक्तों को फल की चिंता किए बिना कर्म करने का संदेश दिया. भगवान कृष्ण सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक माने जाते हैं. उन्हें भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है. कुछ स्थान पर भगवान श्री कृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है. श्रीकृष्ण का जन्म पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, चार चक्रीय युगों में से द्वापर युग के दौरान हुआ था. धर्म शास्त्रों के विवरण और ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर श्रीकृष्ण का जन्म 3228 ईसा पूर्व है. श्रीकृष्ण की मृत्यु यानी उनके अपने शाश्वत निवास वैकुंठ में लौटना 3102 ईसा पूर्व माना जाता है. वर्तमान युग जिसे कलियुग के रूप में जाना जाता है, भगवान कृष्ण (Lord Shree Krishna) की मृत्यु के बाद शुरू हुआ. भगवान श्रीकृष्ण की उत्पत्ति (Shree Krishna Origin) भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरा नगर में राजकुमारी देवकी और उनके पति वासुदेव के आठवें पुत्र के...

Sri Sri Ravi Shankar: गलतियों से सीखकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहें विद्यार्थी

10 वीं और 12 वीं के परीक्षा परिणाम आने पर संभवतः कुछ छात्र बेहद खुश होंगे, तो कुछ निराश भी. आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर (Sri Sri Ravi Shankar) के अनुसार, ने बताया है कि असफलता पाने पर दुख के सागर में गोते लगाने की बजाय गलतियों से सीखकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना चाहिए. 10 वीं और 12 वीं के परीक्षा परिणाम आने वाले होंगे या आ चुके होंगे. कुछ छात्रों को अपने मन-मुताबिक़ परिणाम मिलेंगे, तो कुछ छात्र परिणाम देखकर असंतुष्ट होंगे. उन्हें यह लग सकता है कि यदि उन्होंने थोड़ी और अधिक मेहनत की होती, तो शायद परिणाम भी और अच्छे आते! आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने बताया है कि विद्यार्थी में तीन गुण जरूर होना चाहिए -स्वयं पर पूर्ण विश्वास, स्थिरता और दृढ़-संकल्प. कुछ विद्यार्थियों में इच्छा तो होती है, लेकिन उनमें वह दृढ़-संकल्प नहीं होता है कि वे अपनी इच्छा पूरी कर सकें. यदि किसी का व्यक्तित्व अस्थिर और दृढ़-संकल्पित नहीं है तो वे निश्चित ही जीवन के उतार-ंचढ़ाव में स्वयं को शिकार और पीड़ित के रूप में देख (Sri Sri Ravi Shankar) सकते हैं. समता के लिए स्थिरता जरूरी श्री श्री रविशंकर (Sr...

स्वयं में बदलाव लाने में छिपा है जीवन का सूत्र, बीके शिवानी

आध्यात्मिक वक्ता और विचारक बीके शिवानी बताती हैं कि सकारात्मक जीवन जीने के लिए स्वयं में बदलाव लाना पड़ता है. इसके लिए दिन की शुरुआत इस संकल्प के साथ करना चाहिए कि मैं एक शांत आत्मा हूं और ईश्वर ने मुझे अपना और दूसरों का खयाल रखने के लिए धरती पर भेजा है. हम दूसरों की बातों पर दुखी होते हैं. हम क्रोध करते हैं. हम सोचते हैं कि क्रोध करने से काम बन जाता है, जबकि होता इसका उल्टा है. क्रोध से काम बनने की बजाय और बिगड़ जाता है. क्रोध त्यागने से जीवन में सब कुछ अच्छा हो जाता है. आध्यात्मिक वक्ता और विचारक बीके शिवानी के अनुसार, खुद का और दूसरों का भी खयाल रखना हमारी ज़िम्मेदारी है. डॉक्टर दवा से बीमारी को ठीक करते हैं. जब हम बहुत अच्छे हीलर होते हैं, तो हमारी वाइब्रेशन दवा से पहले ही ठीक कर देती है. इसलिए खुद में सकारात्मक बदलाव लाएं. सकारात्मक संकल्प के साथ करें दिन की शुरुआत हर सुबह एक विचार बनाएं. दिन की शुरुआत इस संकल्प के साथ करें कि मैं एक शांत आत्मा हूं, मैं भगवान का फरिश्ता हूं. हर दिन हर घंटे के बाद खुद को याद दिलायें कि मैं भगवान का साधन हूं. जैसे ही हम भगवान को याद करते ह...

नकारात्मक विचारों को दूर किया जा सकता है: सद्गुरु जग्गी वासुदेव

आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव के अनुसार, नकारात्मक विचारों को रोकने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. दरअसल, नकारात्मक और सकारात्मक विचार जैसी कोई चीज़ नहीं होती है. अगर आप समझते हैं कि यह सिर्फ़ एक विचार है, तो इसकी अपनी कोई शक्ति नहीं है. अगर आपको लगता है कि यह एक वास्तविकता है, तो यह आपको नष्ट कर सकता है . आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने बताया है कि नकारात्मक विचार या सकारात्मक विचार जैसा कुछ नहीं होता है. क्या आप अपने मन से किसी भी विचार को ज़बरदस्ती निकाल सकते हैं? मन की प्रकृति ऐसी है कि यह सिर्फ़ जोड़ और गुणा कर सकता है. इसलिए किसी व्यक्ति को ज़बरदस्ती एक निश्चित तरीके से सोचने की कोशिश करने की बजाय खुद को मन से दूर करने की दिशा में काम करना चाहिए. सद्गुरु नकारात्मक विचारों को दबाने या हटाने की कोशिश नहीं करने की सलाह देते हैं. वे मन की गतिविधि का एक स्वाभाविक हिस्सा हैं और उनमें स्वाभाविक रूप से कोई शक्ति नहीं होती. सांस पर ध्यान देना सद्गुरु जग्गी वासुदेव विचारों को देखते हुए सकारात्मक विचारों पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव देते हैं, बिना किसी निर्णय या उन्...

समस्या से समाधान की ओर ले जाता है योग: श्री श्री रविशंकर

योग मन को स्वतंत्र कर देता है. यह आपको तनाव मुक्त कर देता है. यह हर दिशा में सहजता से समाधान तलाशने में मदद करता है. योग हमें और अधिक जिम्मेदार बनाता है. इस विषय पर जानें आध्यात्मिक गुरु और आर्ट ऑफ़ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर के विचार. योग सभी समस्याओं को खत्म कर सकता है. आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर के अनुसार, योग के प्रणेता पतंजलि ने योग को परिभाषित करते हुए कहा है कि, ‘‘योग का मकसद ही है कि दुख आए इससे पहले ही वह खत्म हो जाए.’’ गुस्सा, ईष्र्या, कुंठा, घृणा सभी को समाहित कर नवजीवन की ओर बढ़ना ही योग है. आपने देखा होगा कि जब आप प्रसन्न होते हैं तो आप स्वयं को तनाव मुक्त महसूस करते हैं. जब बेईज्जत या असफल होते हैं, तो आपके अंदर कुछ दरकता हुआ महसूस होता है, हम सिकुडने लगते हैं. योग हमारे अंदर जो भी है सिकुड़ने या फैलने की घटना घट रही है उसका साक्षी बनाता है. जिम्मेदार बनाता है योग हम अपनी नकारात्मक भावनाओं के प्रति बहुत ही असहाय महसूस करते हैं. कभी भी स्कूल या घर पर किसी ने नहीं सिखाया कि इन नकारात्मक भावनाओं पर कैसे विजय पाई जाए. यदि आप परेशान हैं, तो या तो पर...

ध्यान अंतर्मन को प्रकाशित करता है: संत राजिंदर सिंह महाराज

संत राजिंदर सिंह महाराज के अनुसार, ध्यान आत्म-जागरूक बनाता है. परमात्मा की शक्ति से गहरा संबंध स्थापित हो पाता है. यह अंतर्मन को प्रकाशित करता है. इससे कई अन्य आध्यात्मिक लाभ भी मिलते हैं. ध्यान से कई आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं. संत राजिंदर सिंह महाराज के अनुसार, ध्यान आत्म-जागरूक बनाता है. इससे खुद से और परमात्मा की शक्ति से गहरा संबंध स्थापित हो पाता है. शांति और कल्याण की भावना प्रबल होती है. यह विचारों, भावनाओं और दृष्टिकोणों में सकारात्मक बदलाव भी ला सकता है, जिससे अधिक सामंजस्यपूर्ण और पूर्ण जीवन को बढ़ावा मिलता है. इस विषय पर संत राजिंदर सिंह महाराज के विचार गहराई से जानते हैं. प्रार्थना का सर्वोच्च रूप है ध्यान संत राजिंदर सिंह महाराज के अनुसार, ध्यान वह साधन है जिसके द्वारा हम अपने भीतर मौजूद प्रेम, शांति और स्थिरता का अनुभव करते हैं. यह हमारे ध्यान को बाहरी दुनिया से हटाकर अपने भीतर केंद्रित करके ईश्वर के प्रेम का अनुभव करने की प्रक्रिया है. ऐसा करने से हम अपने आस-पास की उथल-पुथल से ध्यान हटाकर सभी प्रेम, सभी आनंद के स्रोत, जो ईश्वर हैं, से जुड़ पाते हैं. ध्यान प्रार्...

Lord Ayappa : अंधकार को प्रकाश में बदल देते हैं भगवान अयप्पा

भगवान अयप्पा को हिंदू धर्म में एक लोकप्रिय देवता के रूप में पूजा जाता है. अयप्पा को विकास का देवता माना जाता है और उनकी पूजा विशेष रूप से केरल में प्रचलित है. इन्हें 10 सर्वश्रेष्ठ देवों में एक माना जाता है. विश्व परसिद्ध सबरीमाला मंदिर भगवान अयप्पा का माना जाता है. केरल में अयप्पा की पूजा प्राचीन काल से की जाती रही है, लेकिन शेष दक्षिण भारत में अयप्पा की पूजा 20वीं सदी के अंत में बढ़ गई है. भगवान अयप्पा को हिंदू धर्म में एक लोकप्रिय देवता के रूप में पूजा जाता है. अयप्पा को विकास का देवता माना जाता है और उनकी पूजा विशेष रूप से केरल में प्रचलित है. अय्यप्पा ने राक्षस महिषासुर की बहन महिषी का वध किया. भगवान अयप्पा को भगवान अय्यप्पन और स्वामी अयप्पा के नाम से भी जाना जाता है. कौन हैं भगवान अयप्पा भगवान अयप्पा भगवान शिव और मोहिनी के पुत्र हैं. समुद्र मंथन के दौरान भगवान विष्णु ने स्वयं मोहिनी अवतार लिया था। विश्व प्रसिद्ध अय्यप्पा मंदिर केरल की पथानामथिट्टा पहाड़ियों पर स्थित है, जो सबरीमाला मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. भगवान अयप्पा की उत्पत्ति भगवान अयप्पा के पिता भगवान शिव और ...

Lord Ganesha: क्यों गणेशजी विनायक कहलाते हैं!

Lord Ganesha: मुद्गल पुराण के अनुसार, भगवान गणेश के 8 अवतार हैं, इसलिए उन्हें अष्ट विनायक के नाम से जाना जाता है. यहां विनायक का अर्थ होता है नेतृत्वकर्ता, यानी उनके ऊपर कोई स्वामी नहीं है. गणेशजी सभी प्राणियों का नेतृत्व करते हैं. इसलिए वे विनायक कहलाए. भगवान गणेश हिंदू धर्म में सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक (Popular God Lord Ganesha) हैं. गणेशजी को गणपति और विनायक के नाम से भी जाना जाता है. गणेशजी भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र और भगवान कार्तिकेय के भाई हैं. श्रीगणेश को विनायक कहा जाता है, जिसका अर्थ है "नेतृत्व करने वाला" या "सभी का नेता", क्योंकि उन्हें सर्वोच्च देवता माना जाता है. उनके ऊपर कोई स्वामी नहीं है. वे सभी प्राणियों का नेतृत्व करते हैं. यह उपाधि बाधाओं को दूर करने वाले और कला और विज्ञान के संरक्षक (Lord Ganesha) के रूप में उनकी भूमिका पर जोर देती है. बाधाओं को दूर करते हैं विनायक (Vinayaka Ganesh ji) गणेशजी की सत्ता सर्वोच्च है. यह किसी भी उच्च शक्ति के अधीन नहीं है. विनायक बाधाओं को दूर करने वाले के रूप में जाते हैं. गणेश को विघ्नेश...

Lord Hanuman: क्यों हनुमानजी चिरंजीवी देवता कहलाते हैं

Lord Hanuman: भगवान राम के परम भक्त हैं श्रीहनुमान. वे हिंदू महाकाव्य रामायण के एक केंद्रीय पात्र हैं. हनुमानजी चिरंजीवी, यानी पृथ्वी पर हमेशा जीवित रहने वाले देवता हैं. आइल पीछे एक ख़ास कारण है. भगवान हनुमान हिंदू धर्म में पूजे जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक हैं. भगवान हनुमान को भगवान राम के सबसे बड़े परम भक्त के रूप में सबसे अधिक जाना जाता है. वे हिंदू महाकाव्य रामायण के एक केंद्रीय पात्र हैं। श्रीहनुमान चिरंजीवी हैं, यानी पृथ्वी पर हमेशा जीवित रहने वाले (Lord Hanuman) अमर जीव. कैसे बने हनुमान चिरंजीवी (Chiranjeevi Lord Hanuman) हनुमानजी के सुकर्मों और भक्ति पर प्रसन्न होकर भगवान राम ने हनुमान से कहा कि उन्हें धरती पर चिरंजीवी के रूप में रहना चाहिए, ताकि ज़रूरतमंदों की मदद की जा सके. भगवान राम का नाम लेने वाले लोगों की देखभाल की जा सके. उन्हें पुकारने वालों की मदद की जा सके। रामायण और राम कथा के विभिन्न संस्करणों में उनके अंत में, राम और लक्ष्मण की मृत्यु से ठीक पहले कहा गया है कि हनुमान को अमर होने का आशीर्वाद मिला है. वे हमेशा मानवता का हिस्सा रहेंगे. राम की क...

Lord Shiva: अवगुणों का प्रतिनिधित्व करने वाले असुरों का संहार करते हैं शिव जी

Lord Shiva: त्रिदेवों में से एक हैं भगवान शिव. शिव का अर्थ है 'शुद्ध और संहारक'. वे संपूर्ण ब्रह्मांड की रक्षा करते हैं. बुराई पर अच्छाई की जीत को सुनिश्चित करने के लिए वे कंठ में विष धारण करते हैं और अवगुणों का प्रतिनिधित्व करने वाले असुरों का संहार करते हैं. भगवान शिव (Lord Shiva) देवादिधेव हैं और सर्वोच्च सत्ता के पहलू का प्रतिनिधित्व करते हैं. संस्कृत शब्द शिव का अर्थ है 'शुद्ध और संहारक'. पौराणिक कथाओं के अनुसार, त्रिमूर्ति में शिव संहारक हैं. वे योगियों के देवता हैं और उन्हें एक सर्वज्ञ योगी के रूप में जाने जाते हैं. वे कैलाश पर्वत पर एक तपस्वी जीवन जीते हैं. शिव को कई नामों से जाना जाता है - महादेव, पशुपति, भैरव, विश्वनाथ, भोले नाथ, शंभू और शंकर. शिव ब्रह्मांडीय नर्तक भी हैं. उन्हें नटराज, नर्तकों के देवता के रूप में भी जाना जाता है. भगवान शिव ऊर्जा स्तंभ शिवलिंग के रूप में मंदिरों में विराजते हैं. योगी शिवजी पारिवारिक जीवन जीने का देते हैं संदेश ((Lord Shiva Inspiration) भगवान शिव के दिव्य परिवार में चार सदस्य हैं - शिव, उनकी पत्नी पार्वती और दो प...

धर्मपरायण भगवान श्रीराम

भगवान राम का जन्म शास्त्रों में वर्णित चार युगों में से एक त्रेता युग में हुआ था. अपने उच्च आदर्शों और धर्मपरायणता के कारण राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में भी जाना जाता है. भगवान राम अयोध्या के राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र थे. दशरथ की तीन पत्नियां थीं, कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी. राजा दशरथ और माता कौशल्या भगवान राम के माता-पिता थे. राजा दशरथ की सुमित्रा और कैकेयी नाम की दो अन्य पत्नियां भी थीं. भगवान राम के तीन भाई थे, जिन्हें लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के नाम से जाना जाता है. भगवान राम की एक बहन भी थी जिनका नाम शांता था. भगवान राम का विवाह देवी सीता से हुआ था, जो राजा जनक की बेटी थीं. भगवान राम के दो पुत्र लव और कुश थे, जिनका जन्म भगवान राम द्वारा सीता को त्यागने के बाद ऋषि वाल्मिकी के आश्रम में हुआ था. भगवान राम की प्रतिमा भगवान राम को आमतौर पर नीले या काले रंग और द्विभुज रूप में दर्शाया जाता है. भगवान राम को एक हाथ में कोडंड नामक धनुष और दूसरे हाथ में वरद मुद्रा या बाण पकड़े हुए दिखाया गया है. उनके कंधे पर दिव्य बाणों से सजा हुआ तरकश है. वे एक सुंदर पीताम्बरी पहनते हैं और ...

त्रेता युग 2025 : अक्षय तृतीया से जुड़ा है त्रेता युग

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार सतयुग के बाद त्रेता युग की शुरुआत हुई. मान्यता है कि यह दिन अक्षय तृतीया का था. इसी दिन परशुराम जयंती भी है. हिंदू ब्रह्मांड विज्ञान में दूसरे युग को त्रेता युग कहा जाता है. त्रेता युग से पहले सतयुग आता है. हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, चारों युगों का क्रम कुछ इस प्रकार से है- सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग. अभी कलियुग चल रहा है. माना जाता है कि सतयुग में न्याय और सत्य अपने चरम पर था. त्रेता युग की अपनी महत्ता है. इसे अक्षय तृतीया से भी जोड़कर देखा जाता है. त्रेता युग में श्री विष्णु के अवतार त्रेता युग में भगवान विष्णु को उनके वामन, परशुराम और सबसे खास तौर पर भगवान राम के अवतार के लिए याद किया जाता है. त्रेता युग में विष्णु के श्रीराम अवतार की विशेष रूप से पूजा होती है. त्रेता युग को त्रिदेवों के युग के रूप में जाना जाता है. इस अवधि के दौरान भगवान विष्णु को विष्णु, यज्ञ और उरुक्रम जैसे नामों से महिमामंडित किया जाता है. त्रेता युग को अक्षय तृतीया से भी जोड़कर देखा जाता है. अक्षय शब्द का अर्थ है "शाश्वत" या "कभी न घटने वाला...

Namokar Mantra : सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति दिलाता है नमोकार महामंत्र

Namokar Mantra : लखनऊ में आयोजित हो रहे विश्व नमोकार महामंत्र दिवस के अवसर पर नमोकार महामंत्र की महत्ता बताई गई. अंतिम जैन तीर्थंकर भगवान महावीर के अलावा, अन्य जैन तीर्थंकर भी इस मंत्र का जाप करते थे. भारत के साथ ही दुनिया के 108 देशों में विश्व शांति और सौहाद्र के उद्देश्य से विश्व नमोकार महामंत्र दिवस का आयोजन हुआ. जानते हैं क्या है नमोकार महामंत्र. 10 अप्रैल को संपूर्ण देश महावीर जयंती मना रहा है. जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म बिहार में हुआ था. उत्तर प्रदेश की धरती जैन तीर्थंकरों की पावन भूमि रही है. अयोध्या में भगवान ऋषभदेव का जन्म हुआ था, जो अयोध्या के राजा थे/ अयोध्या में ही 5 तीर्थंकरों ने जन्म लिया. जैन धर्म के पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव समेत ये तीर्थंकर अयोध्या में जन्मे थे- आदिनाथ, अजितनाथ, अभिनंदन नाथ, सुमतिनाथ, अनंतनाथ. जैन परंपरा के मुताबिक, काशी की धरती पर चार तीर्थंकर हुए: सुपार्श्वनाथ, चंद्रप्रभु, श्रेयांशनाथ, पार्श्वनाथ. तीर्थंकरों ने यहीं से धर्म और साधना की परंपरा को आगे बढ़ाया. इसलिए उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में दो द...

लट्टू की तरह एकाग्रचित्त होकर गति बनाने से मिलती है सफलता - श्रीराम शर्मा आचार्य

अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक और आध्यात्मिक गुरु श्रीराम शर्मा आचार्य के अनुसार, सफल जीवन का आधार है व्यक्ति की एकाग्रता. जिस तरह लट्टू जब तक उचित गति बनाये रखता है, अपनी धुरी पर एकाग्र होकर घूमता रहता है. निर्धारित गति के घटते ही वह डगमगा जाता है और कुछ क्षणों में धराशायी हो जाता है. श्रीराम शर्मा आचार्य ने अपने प्रवचन में बताया था कि एकाग्रता के महत्त्व को साधारण गतिविधियों से भी भली-भांति समझा जा सकता है। सूर्य की किरणें सारी पृथ्वी पर फैली रहती हैं, कहीं कोई गड़बड़ नहीं होती, किन्तु आतिशी शीशे की सहायता से किरणों को एक बिंदु पर एकाग्र कर दिया जाता है. इससे इतनी ऊर्जा एकत्रित होती है कि कपड़ा, कागज या पत्ता जलने लगता है. रस्से की सहायता से बड़ा वजनी सामान सैकड़ों मजदूरों की सहायता से जब खींचा जाता है, तो शक्ति को एकाग्र करने के लिए एक विशेष प्रक्रिया की जाती है. जोर लगा के-होइशा आदि आवाज के माध्यम से सभी मजदूर एक साथ अपनी शक्ति को रस्से पर एकाग्र करते हैं यदि उतने मजदूरों की शक्ति एकाग्र न हुई, तो कार्य कठिन हो जाता है. आध्यात्मिक-भौतिक जीवन में सफलता किसी भी व्यक्ति ...

व्यक्तित्व को शानदार बना सकती हैं ये 3 बातें-सद्गुरु जग्गी वासुदेव

आध्यात्मिक गुरु और ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव बताते हैं कि कोई भी व्यक्ति अपने जीवन को शानदार बनाना चाहता है, तो 3 बातों को अपने जीवन में उतारने की कोशिश करे... हर कोई एक शानदार इंसान बनने की कोशिश करता है. किसी को भी ऐसा करने से कोई नहीं रोक सकता है. ऐसा करने के लिए कोई भी व्यक्ति एक सरल प्रक्रिया आजमा सकता है. आप कागज पर ऐसी तीन चीज़ें लिखिए, जो आपके अनुसार किसी इंसान को एक शानदार इंसान बनाती हैं. इन तीनों बातों को अपने जीवन में उतारने की कोशिश करें.आध्यात्मिक गुरु और ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु इन तीन बातों के बारे में बताते हैं. जीवन को व्यर्थ होने से बचाएं आपको कोई ऐसा काम नहीं करना है, जो कोई अन्य व्यक्ति चाहता है. वह करें जो आप चाहते हैं, जो आपको सबसे अच्छा लगता है। अगर आप अपने जीवन में वह नहीं करेंगे, जो आप चाहते हैं, तो आपका जीव न व्यर्थ हो जाएगा। तीन चीज़ें जो आपके अनुसार कि सी इंसान को वाकई एक शानदार इंसान बनाती हैं - उन्हें एक सच्चाई बनाएं. 3 बातें जो आपके जीवन को शानदार बना सकती है 1 अनजान लोगों को देखकर मुस्कुरायें अपने आस-पास रोशनी ...

भयमुक्त बनाता है यज्ञ : देवदत्त पट्टनायक

पौराणिक विषयों के जाने-माने विशेषज्ञ देवदत्त पट्टनायक अपनी किताब “शिव के सात रहस्य” में बताते हैं कि यज्ञ का महत्व पूजा-पाठ के अलावा, घरेलू जीवन में भी है. यह व्यक्ति को गृहस्थ बनाकर उसे भयमुक्त करता है. हिंदुओं के अनगिनत देवी-देवता हैं, उनमें शिव सबसे अधिक लोकप्रिय हैं. देवाधिदेव महादेव शिव, विष्णु और ब्रह्मा के साथ देवताओं के त्रिमूर्ति माने जाते हैं. शिव के अनेक रूप हैं : कहीं तो वह कैलाश पर्वत की बर्फीली चोटी पर बैठे ब्रह्मचारी योगी हैं, जो दुनिया का विनाश करने की क्षमता रखते हैं. दूसरी ओर, अपनी पत्नी और पुत्रों के साथ गृहस्थ आश्रम का आनंद लेते हुए गृहस्थी भी हैं. पौराणिक विषयों के जाने माने विशेषज्ञ देवदत्त पट्टनायक अपनी किताब “शिव के सात रहस्य” में शिवजी के बारे में बताते हुए यज्ञ की महत्ता और यज्ञ के उद्देश्य के बारे में बताते हैं. घरेलू मन का पर्याय है यज्ञ “शिव के सात रहस्य” पुस्तक में देवदत्त पट्टनायक बताते हैं कि यज्ञ का उद्देश्य अनियंत्रित प्रकृति पर नियंत्रण स्थापित करना है. उसे घरेलू बनाकर उसका उपयोग करना है. ऐसा करने पर भय से मुक्ति पाई जा सकती है. एक तरह से यज...

क्यों श्रीविष्णु गजराज की पुकार पर वैकुंठ छोड़ पृथ्वी पर दौड़े चले आए!

श्रीविष्णु ने हर काल में बुराई पर अच्छाई की जीत दर्ज कर अपने भक्तों को संकट मुक्त किया है. इसी संदर्भ में श्रीमद्भागवत के अष्टम स्कन्ध में गज और ग्राह (हाथी और मगरमच्छ) की कथा कही गई है. किस तरह श्रीविष्णु भक्त गजराज की पुकार पर दौड़े चले आये और उसके प्राण बचा लिए. इस कथा का उल्लेख ‘अथ विष्णु चरित्रम्’ पुस्तक में भी किया गया है. श्रीमद्भागवत के अष्टम स्कन्ध में गजेन्द्र मोक्ष यानी गज और ग्राह (हाथी और मगरमच्छ) की कहानी कही गई है. पौराणिक आख्यानकार डॉ. भगवतीशरण मिश्र ने अपनी पुस्तक ‘अथ विष्णु चरित्रम्’ पुस्तक में भी इस कथा का उल्लेख किया है. ‘अथ विष्णु चरित्रम्’ पुस्तक में यह कथा कुछ इस तरह से कही गई है--ज्येष्ठ माह की तपती दोपहरी और सूर्य की आग उगलती प्रचंड किरणें. प्राणि को प्यास लगने पर जल की एक बूंद भी कठिनाई से उपलब्ध हो रही थी. पृथ्वी पर यह सिलसिला दिनों नहीं महीनों से चल रहा था. श्रीविष्णु अपने भक्त गजराज की पुकार पर धरती तक दौड़े चले आये और कमजोर पड़ रहे भक्त की सहायता कर उसे संकट से बचाया. हाथी और मगरमच्छ के बीच युद्ध एक जंगल में प्यास से आकुल एक गजराज भी था. गजराज जल ...