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Mental Health: दोस्तों के साथ रोज बातचीत करने पर मेंटल हेल्थ हो सकता है मजबूत

Mental Health: ऑस्ट्रेलिया के कर्टिन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार, दोस्तों के साथ बातचीत करना, प्रकृति में समय बिताना और मानसिक रूप से व्यस्त रहने जैसी सरल, रोज़मर्रा की गतिविधियां मानसिक स्वास्थ्य में उल्लेखनीय सुधार ला सकती हैं. पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में 600 से अधिक वयस्कों का सर्वेक्षण करने वाले अध्ययन में पाया गया कि जो लोग दूसरों के साथ दैनिक बातचीत में शामिल होते हैं, वे मानक मानसिक स्वास्थ्य पैमाने पर उन लोगों की तुलना में 10 अंक अधिक स्कोर करते हैं, जो शायद ही कभी ऐसा करते हैं. ऑस्ट्रेलिया के कर्टिन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार, प्रकृति के दैनिक संपर्क से पांच अंकों की वृद्धि हुई, जबकि नियमित सामाजिक मेलजोल, शारीरिक गतिविधि, आध्यात्मिक अभ्यास और दूसरों की मदद करने से (Helping Attitude) भी मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हुआ. रोज़ाना की बातचीत ला सकती है मेंटल हेल्थ में अंतर (Daily Talk for Mental Health) ऑस्ट्रेलिया के कर्टिन स्कूल ऑफ़ पॉपुलेशन हेल्थ की अध्ययन की प्रमुख शोधकर्ता प्रो. क्रिस्टीना पोलार्ड के अनुसार, ब्रिटिश जर्नल ऑफ़ एसएसएम-मेंटल हेल्थ ...

खुद की आलोचना करते रहने की आदत से उबरना है जरूरी

खुद की आलोचना या आत्म-आलोचना खुद में हमेशा दोष ढूंढने के लिए विवश करती है। यदि आप लगातार आत्म आलोचना में डूबी रहती हैं, तो यह कई तरह की मानसिक समस्या का कारण बन सकती है। विशेषज्ञ इससे उबरने के कई उपाय बताते हैं। ‘सेमिनार में मेरी प्रस्तुति बहुत खराब रही। मैं इस जॉब के लिए उपयुक्त नहीं हूं। उस दिन के विवाह समारोह में सबसे बुरी मैं दिख रही थी।’ अकसर हम अपनी आलोचना अपने-आपसे या दूसरों से करने लग जाते हैं। अपना सही मूल्यांकन करना तो वाजिब है, लेकिन हर हमेशा खुद की शिकायत करते रहना कहीं से भी सही नहीं है। मनोविज्ञान खुद की शिकायत करने की आदत को सेल्फ क्रिटिसिज्म यानी आत्म-आलोचना कहता है। महान संत कबीरदास का दोहा ‘बुरा जो देखन मैं चली... खुद को सही रास्ते पर ले जाने के लिए तो ठीक है, लेकिन सेल्फ क्रिटिसिज्म को अपनी आदत में शुमार कर लेना कहीं से भी उचित नहीं है। विशेषज्ञ बताते हैं कि खुद की आलोचना करते रहने की आदत मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित कर देते हैं। क्या है खुद की आलोचना या आत्म-आलोचना? सीनियर साइकोलोजिस्ट डॉ. ईशा सिंह बताती हैं, ‘खुद की आलोचना या आत्म-आल...

नकारात्मक लोगों के बीच खुद सकारात्मक बने रहने के 5 टिप्स

नकारात्मक लोगों के साथ समय बिताना बेहद कठिन होता है। उनकी नकारात्मकता न सिर्फ उन्हें, बल्कि सामने वाले व्यक्ति को मानसिक रूप से बीमार बना सकती है। नकारात्मक लोगों के बीच खुद को सकारात्मक बनाए रखने के लिए एक्सपर्ट के बताए कुछ उपाय हैं। पढ़ाई में पिछड़ने का डर, ऑफिस में असफल होने का विचार, खुद के दूसरों से कमतर होने का भय-ये सभी नकारात्मक विचार हैं, जो हमें दिन-रात परेशान कर सकते हैं। जर्नल ऑफ़ साइकोलॉजिकल रिसर्च के अनुसार, हमारे 80% विचार नकारात्मक होते हैं। ये सभी विचार जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं—रिश्ते, काम, स्कूल पर आधारित होते हैं। इनमें से ज्यादातर विचार दूसरों के द्वारा कही गई बातों पर आधारित होते हैं. दरअसल, रोजमर्रा के जीवन में हमें घर-बाहर कई ऐसे लोगों से सामना करना पड़ सकता है, जो न केवल नकारात्मक बातें कहते हैं, बल्कि उनका व्यवहार भी नकारात्मक ( ईर्ष्या-द्वेष रखना, शिकायत करना, नीचा दिखाने की कोशिश करना) होता है। हमें अपने मेंटल हेल्थ को मजबूती देने के लिए नकारात्मकता से दूर रहने की जरूर कोशिश करनी चाहिए। हमें एक्सपर्ट के बताए सुझावों पर अमल करना चाहिए। कैसे प्रभावित कर...