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एक्ने और पिंपल्स के लिए कच्चा शहद

रॉ हनी में एंटीबैक्टीरियल और सूदिंग गुण होते हैं, जो स्किन इन्फ्लेमेशन दूर करते हैं। मां कहती है कि शहद को यदि नियमित रूप से लगाया जाए, तो यह एक्ने और पिंपल्स को ठीक कर सकता है। स्किन की कई सारी समस्याएं हैं, लेकिन मुहांसों से सबसे ज़्यादा परेशानी होती है। यह बिना बताए आता है और त्वचा पर दाग-धब्बे छोड़ जाता है। मुहांसों से तुरंत छुटकारा पाने की कोशिश में हम कई तरह के घरेलू नुस्खे आज़माते हैं। इन्हें हम नियमित तौर पर इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। इन्हें लगाना आसान नहीं होता है, क्योंकि कई सारे स्टेप्स फॉलो करने पड़ते हैं। मां कहती है कि शहद मुंहासों को ठीक कर देता है। इसे स्किन पर अप्लाई करना भी आसान है। जानते हैं क्या शहद वास्तव में काम (Raw Honey for Pimples) करता है? इसे किस तरह लगाया जाए? कैसे शहद मुहांसों को खत्म करता है(Raw Honey for Pimples)? न्यूट्रिएंट जर्नल के अनुसार, शहद में फैटी एसिड, विटामिन बी, पेप्टाइड्स, अमीनो एसिड, एंटीऑक्सीडेंट आदि जैसे पोषक तत्व होते हैं ये मुंहासों पर सूदिंग इफेक्ट डालते हैं। शहद इंफ्लेमेटरी और रेडिश स्किन वाले मुहांसों पर सबसे अच्छी तरह काम क...

इन 5 तरह की पत्तियों से किया जा सकता है एक्ने का घरेलू उपचार

धूप, धूल और पसीना के कारण स्किन पोर्स बंद हो जाते हैं और एक्ने हो जाता है। मां बताती है कि प्रकृति में मौजूद 5 अलग-अलग तरह की पत्तियों को स्किन पर अप्लाई करने से एक्ने या मुंहासों से छुटकारा पाया जा सकता है। जानते हैं कौन हैं वे 5 पत्तियां। गर्मी के दिन अब शुरू होने वाले हैं। धूप, पसीना, धूल कण-ये सभी स्किन को गंदा कर सकते हैं। स्किन पोर्स को बंद कर सकते हैं। इससे स्किन टैन होने की समस्या के साथ-साथ एक्ने की भी वजह बन सकते हैं। यदि स्किन प्रोडक्ट पर विश्वास नहीं हैं, तो प्राकृतिक उपचार आजमा सकती हैं। घरेलू उपाय के तौर पर इन्हें स्किन पर एप्लाई किया जा सकता है। मां कहती है कि प्रकृति में मौजूद 5 अलग-अलग तरह की पत्तियों को स्किन पर अप्लाई कर एक्ने या मुंहासों से छुटकारा (-5 leaves for acne treatment) पाया जा सकता है। क्यों होते हैं एक्ने (acne) जर्नल ऑफ़ स्किन केयर के अनुसार, स्किन पोर गंदगी और डेड स्किन सेल से बंद हो जाते हैं। इससे स्किन की सतह पर एक्ने होने लगते हैं। एक्ने का रूप अलग-अलग हो सकता है। यह व्यक्ति-दर-व्यक्ति भी अलग-अलग होता है। इसके कारण व्हाइटहेड्स, ब्लैकह...

Mother’s Day: मां को बीमारी से दूर रखने के लिए ये 5 उपाय किए जा सकते हैं

Mother’s Day: मां को स्वस्थ रखने के लिए उनसे संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद और तनाव प्रबंधन को प्राथमिकता देने को कहें. उनसे स्वस्थ आदतों का अनुसरण करने कहें, जिसमें हाइड्रेटेड रहना, अच्छी स्वच्छता का अभ्यास करना और ऐसी गतिविधियों में शामिल होना, जो खुशी लाती हैं और तनाव कम करती हैं. मां परिवार की धुरी होती है. वह अपने सभी कर्तव्यों का निर्वहन कर पूरे परिवार को सुरक्षित, स्वस्थ और रिश्ते की डोर में बांधे रखती है. इसलिए उसे अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना और उसे स्वस्थ रखना, हमारी जिम्मेदारी है. मां को स्वस्थ रखने और उसके प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए हर वर्ष दुनिया भर में मदर्स डे मनाया जाता है. मदर्स डे का इतिहास (Mother’s Day History ) अमेरिका में मदर्स डे की शुरुआत करने वाली अमेरिकी नागरिक थीं एना जार्विस. एना जार्विस ने 1908 में अपनी मां एन की याद में मदर्स डे की शुरुआत की. एना जार्विस की मां एक सामाजिक कार्यकर्ता और स्त्री अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाली महिला थीं. मदर्स डे परिवार और समाज में मां के कार्यों के साथ-साथ मातृत्व, मदर बोन्डिंग और समाज में...

क्यों जरूरी है बच्चे को गले लगाना

हर दिन अपने बच्चे को गले लगाने के लिए समय निकालें। यह बच्चे के व्यक्तित्व विकास में मदद कर सकता है। अगली बार जब आप किसी काम के लिए हाथ आगे करें, तो हाथ बच्चे को गले लगाने की ओर बढायें। यह आपके और बच्चे के बीच बॉन्डिंग मजबूत करेगा। आपका बचपन कैसा बीता है, इस पर व्यक्ति का भविष्य भी निर्भर करता है। यदि बच्चे को भरपूर प्यार दिया जाता है, उसे समय-समय पर गले लगाकर उसके प्रति प्यार प्रकट किया जाता है, तो उसका व्यवहार और व्यक्तित्व दोनों ख़ास गुणों से भरपूर हो सकता है। अमेरिकन साइकोलॉजिस्ट जर्नल में हाल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, जब माएं अपने 5 से 10 वर्ष की आयु के बीच के बच्चों को बार-बार गले लगाती हैं, उन्हें प्रेम और स्नेह देती हैं, तो ऐसे बच्चे बड़े होकर अधिक जिम्मेदार बन सकते हैं। वे दूसरों के प्रति अधिक केयरिंग और दयावान बन सकते हैं। शोधकर्ताओं ने इसकी सच्चाई जांचने के लिए यूके में 2,200 समान जुड़वा बच्चों पर परीक्षण किया। जुड़वां बच्चे न केवल एक ही डीएनए साझा करते हैं, बल्कि एक ही वातावरण में बड़े होते हैं। उनके बीच एकमात्र अंतर यह हो सकता है कि उन्हें अपनी मां से कितना प्रेम ...

आपकी त्वचा के लिए खतरनाक हो सकता है घर पर तैयार किया गया सौंदर्य उत्पाद

अगर त्वचा की देखभाल के लिए आप घर पर प्राकृतिक चीज़ों से खुद सौंदर्य उत्पाद बनाने जा रही हैं, तो थोड़ी देर इस पर विचार कर लें। ये आपकी त्वचा के लिए खतरनाक भी हो सकते हैं। DIY (Do it yourself) स्किन केयर, जैसा कि नाम से स्पष्ट है- त्वचा की देखभाल के लिए पहले से तैयार उत्पाद खरीद कर इस्तेमाल करने की बजाय हम स्वयं प्राकृतिक चीज़ों की मदद से उत्पाद तैयार कर त्वचा की देखभाल के लिए प्रयोग में लाते हैं। यह उत्पाद ऑनलाइन या पुस्तकों में उपलब्ध जानकारी, निर्देशों और सामग्री का उपयोग करके हम स्वयं तैयार कर लेते हैं। आम तौर पर हम त्वचा देखभाल, बालों की देखभाल वाले उत्पाद, जैसे मास्क, क्लींजर और तेल बना लेते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि यह जरूरी नहीं है कि त्वचा की देखभाल के लिए प्राकृतिक चीजों से स्वयं तैयार किया गया उत्पाद सभी लोगों के लिए फायदेमंद हो। कुछ प्राकृतिक सामग्रियां त्‍वचा को नुकसान भी पहुंचा सकती हैं। इसलिए स्वयं तैयार किए गए किसी भी सौंदर्य उत्पाद का उपयोग करने से पहले कुछ जरूरी बातें हमें जान लेनी चाहिए। क्या कहते हैं शोध जर्नल ऑफ़ डर्मेटोलोजी एंड स्किन केयर के शोध बताते है...

मुंहासे के कारण हुए निशान हट सकते हैं

एक निश्चित उम्र तक मुंहासे होना आम बात है, लेकिन इनके छोड़े गए निशान ख़ूबसूरती को बिगाड़ देते हैं। एक्सपर्ट के बताए कुछ उपाय हैं, जो मुंहासे के निशान को खत्म कर सकते हैं। चेहरे, छाती और पीठ पर मुंहासे के निशान बहुत आम हैं। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल के शोध निष्कर्ष के अनुसार, 11 से 30 वर्ष की आयु के लगभग 80% लोगों को मुंहासे हो जाते हैं और उनमें से पांच में से एक व्यक्ति को मुहांसे के निशान यानी एक्ने स्कार हो जाते हैं। किशोरों को उनके हॉर्मोन में बदलाव के कारण मुहांसे और उसके कारण दाग-धब्बे होते हैं। वहीँ वयस्कों में तनाव, पर्यावरण, मासिक धर्म चक्र, तेल आधारित उत्पाद और गर्भनिरोधक गोलियां भी इसके लिए ज़िम्मेदार हो सकती हैं। वयस्कों में भी हॉर्मोन में बदलाव मुंहासे के कारण बन सकते हैं। निशान को कम करने के लिए घरेलू उपचार, ओवर-द-काउंटर दवा और त्वचा विशेषज्ञ के उपचार की जरूरत पड़ सकती है। क्यों होते हैं मुंहासे त्वचा की तीन मुख्य परतें होती हैं- एपिडर्मिस, डर्मिस और हाइपोडर्मिस. ये परतें शरीर के नाजुक अंदरूनी हिस्सों को बाहरी धूल-कण, यूवी किरणों और बैक्टीरिया से बचाती हैं। वे सूर्य ...

बहुत आसान है यात्रा के दौरान खुद को फिट रखना

यात्रा से मिले अनुभव हमें जिंदगी जीने का मजा दोहरा कर देते हैं। कभी-कभार यात्रा के दौरान की गई लापरवाहियां सुखद यादें संजोने में बाधा बन जाती हैं। हम अनफिट हो जाते हैं और कुछ स्वास्थ्य समस्याएं हमें परेशान करने लगती हैं। यदि यात्रा करने से पहले एक अच्छी योजना बना ली जाए, जिसमें फिटनेस वर्कआउट भी शामिल हो, तो न सिर्फ फिट रहा जा सकता है, बल्कि यात्रा यादगार भी बन सकती है। यात्राएं खुद को खुद से मिलाने का एक खूबसूरत-सा बहाना है। इस दौरान आप खूब सारी मस्ती करती हैं, ढेर सारी न भूलने वाली यादें बनाती हैं, लेकिन कई बार यात्रा के दौरान या वापस आने के बाद तबीयत खराब हो जाती है, जिस कारण उस यात्रा की यादगार यादों के साथ कुछ कड़वे पल की अनुभूति भी जुड़ जाती है। इसलिए यात्रा के दौरान फिटनेस का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि ऊर्जा बनी रहे और आप सफर का भरपूर आनंद ले सकें। क्यों जरूरी है यात्रा के दौरान फिट रहना फिटनेस एक्सपर्ट यश अग्रवाल बताते हैं, ‘फिट रहना तो हमेशा जरूरी होता है, लेकिन यात्रा के दौरान अपनी फिटनेस का खयाल रखना और भी जरूरी हो जाता है। पूरे शरीर को स्वस्थ रखने, ऊर्जा स्तर क...

क्या आप अपने बच्चे की सुनते हैं?

माता-पिता के रूप में बच्चे को गढ़ना अपने-आप में हमेशा से जटिल प्रक्रिया रही है. बदलते समय के साथ इसके तौर-तरीके भी बदल जाते हैं. हालांकि कई मामलों में लोग पुराना रवैया ही अख्तियार करते हैं, जिस कारण जेनरेशन गैप देखने को मिलता है. इसका असर सीधे-सीधे बच्चे के विकास को प्रभावित करता है. ऐसे में 'अंतरराष्ट्रीय अभिभावक दिवस' अभिभावकों की महत्वपूर्ण भूमिका की ओर ध्यान दिलाता है. आज के दौर में पेरेंटिंग सिर्फ पालन-पोषण नहीं, एक निरंतर सीखने और समझने की प्रक्रिया बन चुकी है. इंटरनेट, सोशल मीडिया के दौर में बच्चों के फिजिकल हेल्थ के साथ-साथ मेंटल हेल्थ बनाये रखना भी जरूरी है. दशमी कक्षा की छात्र अंशिका की अपनी माता-पिता से यही शिकायत रहती है कि वे कभी उसकी बात सुनते नहीं हैं. दोनों के वर्किंग होने के कारण अंशिका की बात सुनने के लिए वक्त ही नहीं है. जर्नल ऑफ़ कोम्पेरेटिव फैमिली स्टडीज के अनुसार, अंशिका जैसी स्थिति कमोबेश ज्यादातर बच्चों की है. 80 प्रतिशत मामले में दोनों के वर्किंग होने के कारण बच्चों पर समय देना कठिन हो गया है माता-पिता उनकी बात सुनाने की बजाय बच्चों के रिश्ते को...

किचन में ही रहेंगी या रंग भी खेलेंगी महिलाएं

गुझिया, मालपुआ, दहीबड़ा, ठंढई..., ये सभी पकवान और पेय पदार्थ तैयार करते हुए होली के दिन भी महिलाओं को रसोई से फुर्सत नहीं मिल पाती है। लोगों से मिलने-मिलाने वाले इस त्योहार में वे इतनी थक जाती हैं कि वे इसे एंजॉय भी नहीं कर पाती है. विशेषज्ञ बताती हैं कि यदि महिलाएं टाइम को सही तरीके से मैनेज करना सीख जाएं, तो वे घर की तमाम जिम्मेदारी निभाते हुए खुद के लिए समय निकाल पाएंगी और होली को एंजॉय भी कर पाएंगी। होली का त्योहार नजदीक आ चुका है। होली सिर्फ रंग खेलने का ही त्योहार नहीं है, बल्कि कई तरह की पारंपरिक रस्में निभाने और पारंपरिक व्यंजन-पेय पदार्थ तैयार करने, खाने-खिलाने का भी उत्सव है। बिना मेहमाननवाजी के तो इस त्योहार का रंग फीका है। नतीजा यह होता है कि होली में महिलाएं जिम्मेदारी और काम के बोझ से दब जाती हैं। गृहणी हों या कामकाजी महिलाएं त्योहार के दिन पकवान बनाते हुए उनका ज्यादातर समय रसोई में ही बीतता रहता है। ऐसी स्थिति में वे न तो अपने लिए समय निकाल पाती हैं और न अच्छे से होली का मजा ले पाती हैं। आखिर वे क्या करें कि वे...