Posts

Showing posts with the label Temple

Agra Kailash Temple : स्वयं परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदग्नि ने यहां स्थापित किया दो शिवलिंग

Agra Kailash Temple : आगरा स्थित दो शिवलिंग वाला कैलाश मंदिर इन दिनों चर्चा में है. मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए हाल में कॉरिडोर परियोजना के दूसरे चरण की शुरुआत कर दी गई है। मान्यता है कि यह मंदिर हजारों साल पुराना है. यहां दो शिवलिंग हैं-, एक दृश्यमान और दूसरा अदृश्य. आगरा स्थित कैलाश मंदिर में इन दिनों जीर्णोद्धार का कार्य चल रहा है. हाल में कॉरिडोर परियोजना के दूसरे चरण की शुरुआत कर दी गई है। इसलिए यह मंदिर एक बार फिर चर्चा में है. मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए ₹40 करोड़ आवंटित किया गया है. साथ ही, एक महत्वपूर्ण जीर्णोद्धार परियोजना भी चल रही है. मान्यता है कि मंदिर में दो शिवलिंग हैं, एक दृश्यमान और दूसरा छिपा हुआ. कथा है कि इस हजारों साल पुराने मंदिर (Agra Kailash Temple) से महर्षि परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदग्नि का संबंध है. हजारों साल पुराना मंदिर (Agra Kailash Mandir History) आगरा का कैलाश मंदिर सिकंदरा के पास यमुना नदी के तट पर स्थित है. यह मथुरा-आगरा मार्ग पर है. इसे आगरा के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है. यह अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता...

Amarnath Yatra 2025 : अमरनाथ यात्रा 2025 की औपचारिक शुरुआत, बर्फ के रूप में मौजूद शिवलिंग ज्योतिर्लिंग में शामिल हैं या नहीं

Amarnath Yatra 2025 : तवी नदी तट पर पूजा के साथ ही अमरनाथ यात्रा 2025 की औपचारिक शुरुआत हो गई. आइये जानते हैं कि बर्फ के रूप में मौजूद शिवलिंग ज्योतिर्लिंग में शामिल हैं या नहीं ज्येष्ठ पूर्णिमा के अवसर पर जम्मू में तवी नदी के तट पर पहली पूजा के साथ ही अमरनाथ यात्रा 2025 की औपचारिक शुरुआत हो गई. यह पूजा विश्व हिंदू परिषद के लोगों ने की. भगवान शिव को समर्पित हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है अमरनाथ गुफा मंदिर. यहां बाबा बर्फानी के रूप में भगवान महादेव विराजते हैं. यहां बर्फ के शिवलिंग ज्योतिर्लिंग नहीं कहलाते हैं. इसके पीछे आध्यात्मिक और धार्मिक कारण हैं. अमरनाथ यात्रा की ज्येष्ठ यात्रा जम्मू में तवी नदी के तट पर श्रद्धालुओं के साथ-साथ विहिप के कार्यकर्ताओं ने भी ज्येष्ठ पूर्णिमा पूजा की. ईश्वर का आशीर्वाद पाने के लिए मंत्रोच्चार और प्रसाद भी अर्पित किए गए और अमरनाथ यात्रा की नींव रखी गई. अमरनाथ यात्रा से पहले पहली पूजा करने की यह परंपरा गहरी आध्यात्मिक संस्कृति और हर साल तीर्थयात्रा में भाग लेने वाले लाखों लोगों की आस्था को दर्शाती है. अमरनाथ में शिवलिंग बाबा बर्फा...

Kheer Bhawani Temple Mystery: माता के आशीर्वाद से बदल जाता है कुंड के पानी का रंग

Kheer Bhawani Temple Mystery: श्रीनगर से 25 किलोमीटर दूर गांदरबल जिला स्थित है खीर भवानी मंदिर. देवी दुर्गा के रूप में स्थापित देवी राग्न्या को यहां खीर का भोग लगाया जाता है. मंदिर स्थित कुंड का जल अपना रंग बदलने के कारण दूर-दूर तक लोकप्रिय है. इन दिनों यहां खीर भवानी मेला लगा हुआ है. इन दिनों जम्मू और कश्मीर के गांदरबल जिले के तुलमुल्ला गांव में माता रानी के भक्त बड़ी संख्या में पहुंचने लगे हैं. पहलगाम अटैक की बुरी यादों को परे हटाकर लोग तुलमुल्ला गांव के खीर भवानी मंदिर पहुंच रहे हैं. यहां 3 जून से खीर भवानी उत्सव शुरू हो गया है. मंदिर की देवी देवी राग्न्या को खीर का भोग लगाया जा रहा है. मंदिर के कुंड से सदियों से जुड़ी आस्था भी दिखाई दे रही है. जानते हैं वह आस्था, जिसे लोग देवी के आशीर्वाद (Kheer Bhawani Temple Mystery) से जोड़कर देखते हैं. खीर भवानी मंदिर मेला (Kheer Bhawani Temple Mela) जम्मू और कश्मीर के गांदरबल जिले में खीर भवानी महोत्सव कश्मीरी पंडित समुदाय के लिए प्रतिष्ठित धार्मिक आयोजन है, जो हर साल तुलमुल्ला गांव के पवित्र रागन्या देवी मंदिर में आयोजित किया जा...
Chhinnamasta Jayanti 2025: देवी छिन्नमस्ता जयंती वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को मनाई जाती है. इस वर्ष यह तिथि रविवार, 11 मई 2025 को है. देवी छिन्नमस्ता दस महाविद्या देवियों में से छठी हैं और काली कुल से संबंधित हैं. देवी छिन्नमस्ता शिव की शक्ति हैं. जानते हैं देवी छिन्नमस्ता जयंती कथा. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, देवी छिन्नमस्ता जयंती वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को मनाई जाती है. देवी छिन्नमस्ता दस महाविद्या देवियों में से छठी हैं और काली कुल से संबंधित हैं. शिव की शक्ति मानी जाती हैं देवी. देवी छिन्नमस्ता को देवी प्रचंड चंडिका के नाम से भी जाना जाता है. द्रिक पंचांग में दिए गए उल्लेख के अनुसार, देवी छिन्नमस्ता को भयावह रूप में दर्शाया जाता है. यही कारण है कि इनकी पूजा मुख्य रूप से तांत्रिक, योगी और अघोरियों द्वारा की जाती है. हालांकि आम लोग भी खुद को विभिन्न प्रकार की आपदाओं से बचाने के लिए देवी छिन्नमस्ता की पूजा (Chhinnamasta Jayanti 2025) करते हैं. कब से कब तक है चतुर्दशी तिथि और जयंती (Chhinnamasta Jayanti date & Time द्रिक पंचांग के अनुसार, चतुर्दशी तिथि प्रारंभ - 10 मई 2025 को ...

Maa Vaishno Devi Dham : चैत्र नवरात्रि में मां वैष्णो देवी बरसा रहीं भक्तगणों पर असीम कृपा

Maa Vaishno Devi Dham : चैत्र नवरात्रि के शुभ अवसर पर जम्मू स्थित मां वैष्णो देवी धाम पूरी तरह भक्तिमय हो गया है. यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है. भक्तजन जयकारे लगाते हुए मां की असीम कृपा पाने की अनुभूति पा रहे हैं. चैत्र नवरात्रि के शुभ अवसर पर श्रद्धालु जम्मू स्थित मां वैष्णो देवी धाम पहुंच रहे हैं. इसलिए धाम का वातावरण पूरी तरह भक्तिमय हो गया है. लोग टोलियों में माता के दरबार की ओर प्रस्थान कर रहे हैं. भवन परिसर, यात्रा मार्ग और आधार शिविर कटड़ा में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है. श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड और प्रशासन ने व्यापक इंतजाम किए हैं, जिससे भक्तों को किसी तरह की परेशानी न हो. भक्तजन मां के जयकारे लगाते हुए टोलियों में माता के दरबार की ओर प्रस्थान कर रहे हैं. उन्हें मां का आशीर्वाद पाने की पवित्र अनुभूति भी हो रही है. अनिवार्य है मां वैष्णो देवी की यात्रा के लिए पंजीकरण (Maa Vaishno Devi Registration) ध्यान देने वाली बात यह है कि मां वैष्णो देवी की यात्रा के लिए पंजीकरण अनिवार्य है. बिना आरएफआईडी य...

Devipatan Shaktipeeth shobha yatra : क्यों नेपाल से देवीपाटन मंदिर पहुंचती है रतन नाथ योगी की शोभा यात्रा

Devipatan Shaktipeeth shobha yatra: उत्तरप्रदेश के बलरामपुर जिला स्थित है 51 शक्तिपीठों में से एक पाटेश्वरी देवी का देवीपाटन मंदिर. यहां हर वर्ष चैत्र नवरात्र में नेपाल से गुरु गोरखनाथ के शिष्य रतन नाथ योगी की शोभा यात्रा पहुंचती है. जानते हैं इस शक्तिपीठ और रतन नाथ योगी के बारे में. चैत्र नवरात्र की पंचमी को नेपाल से आती है प्रसिद्ध पीर रतननाथ योगी की धार्मिक यात्रा. यह धार्मिक यात्रा कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच नेपाल सीमा क्षेत्र के जनकपुर मंदिर से बलरामपुर के देवीपाटन शक्तिपीठ पहुंचती है. इस शोभायात्रा में शामिल होने के लिए नेपाल से हजारों श्रद्धालु जनकपुर पहुंचते और यात्रा में भाग लेते हैं. पात्र देवता के दर्शन के लिए श्रद्धालु मध्य रात्रि से ही सड़क के दोनों किनारों पर आस्था के फूल लिए जुटे रहते हैं. जानते हैं देवीपाटन मंदिर और प्रसिद्ध रतन नाथ योगी की धार्मिक यात्रा (Devipatan Shaktipeeth shobha yatra) के बारे में. रतननाथ योगी की धार्मिक यात्रा (Ratan Nath Yogi Shobha Yatra) हाल में देवता रतन नाथ योगी की धार्मिक यात्रा नेपाल सीमा के जनकपुर मंदिर से पैदल प्रस्थान कर द...

Kanpur Maa Tapeshwari Devi Mandir: जहां दर्शन करने से मिलता है संतान सुख

Kanpur Maa Tapeshwari Devi Mandir : नवरात्र में सभी देवी मंदिरों में भक्तगण विशेष रूप से पूजा-अर्चना करते हैं. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि कानपुर के मां तपेश्वरी देवी मंदिर में भक्तगण की भीड़ कई गुना बढ़ जाती है. मान्यता है कि रामायण काल और मां सीता के तप से जुड़े इस मंदिर में देवी का दर्शन करने से संतान पाने की मनोकामना पूर्ण हो जाती है. चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri 2025) में देवी दुर्गा के नौ रूपों की बहुत धूमधाम से नौ दिनों तक पूजा की जाती है. कानपुर स्थित मां तपेश्वरी देवी मंदिर में रोजाना की अपेक्षा नवरात्र के दिनों में श्रद्धालुओं की भीड़ कई गुना बढ़ जाती है. फीलखाना स्थित मां तपेश्वरी देवी मंदिर में एक साथ चार देवियां विराजमान हैं. मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन कर हाजरी लगाने से नि:संतान लोगों को संतान की प्राप्ति (Kanpur Maa Tapeshwari Devi Mandir) हो जाती है. मां तपेश्वरी देवी मंदिर का इतिहास (Maa Tapeshwari Devi Mandir History) मां तपेश्वरी देवी मंदिर (Maa Tapeshwari Devi Mandir) के प्रांगण में छोटे बच्चों का मुंडन संस्कार और भी कई तरह के मांगलिक कार्यक्रम भी किय...

Mundeshwari Devi Temple: दुनिया का सबसे पुराना मंदिर जहां बिना रक्त बहाए दी जाती है बलि

Image
Mundeshwari Devi Temple: बिहार के भोजपुर क्षेत्र में कैमूर की पहाड़ी पर स्थित है मां मुंडेश्वरी देवी मंदिर. यह मंदिर न सिर्फ दुनिया का सबसे पुराना मंदिर माना जाता है, बल्कि यह देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां रक्तहीन बलि दी जाती है। बिहार के भोजपुरी क्षेत्र में सोन नदी के पास कैमूर पठार की मुंडेश्वरी पहाड़ियों पर मां मुंडेश्वरी देवी मंदिर स्थित है. रामगढ़ गांव में 608 फीट की ऊंचाई पर यह मंदिर स्थापित किया गया है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इसे 1915 में ही संरक्षित स्मारक घोषित कर दिया था. इस मंदिर (Mundeshwari Devi Temple) की ख्याति देश भर में फ़ैली है. मंदिर में सैकड़ों सालों से लगातार हो रही पूजा (Maa Mundeshwari Temple) मां मुंडेश्वरी देवी मंदिर (Maa Mundeshwari Devi Temple) भगवान शिव और शक्ति को समर्पित है. मंदिर में गणेश, सूर्य और श्री विष्णु के विग्रह भी स्थापित हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अनुसार, मंदिर 108 ईस्वी का है और यह 1915 से संरक्षित स्मारक है. मां मुंडेश्वरी मंदिर वास्तुकला की नागर शैली का सबसे पुराना नमूना है. मान्यता है कि यह मंदिर दुनिया का सबसे प...

Karni Mata temple: एक ऐसी माता का मंदिर जहां होती है चूहों की पूजा

इन दिनों करणी माता मंदिर चर्चा में है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल में राजस्थान के बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर दूर एक छोटे से स्थान देशनोक में करणी माता मंदिर का दौरा किया था. जानते हैं ‘चूहा मंदिर’ के नाम से मशहूर इस ऐतिहासिक मंदिर के बारे में सब कुछ. राजस्थान के बीकानेर के देशनोक स्थान स्थित करणी माता मंदिर इन दिनों चर्चा में है. दरअसल, अभी कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यहां आकर दर्शन-पूजा की थी. यह पूजा स्थल हजारों कबा (चूहों) का घर होने के कारण देश-विदेश में प्रसिद्ध है. जानते हैं कौन थीं करणी माता और कैसे बना उनका मंदिर. कौन थीं करणी माता करणी माता को रिधि कंवर या रिधु बाई के नाम से भी जाना जाता है. माना जाता है कि वे 14वीं-15वीं सदी में इस धरती पर आईं. उन्हें देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है. कथा है कि उनका जन्म 1387 ई. में देशनोक से लगभग 100 किलोमीटर दूर फलोदी के पास सुवाप गांव में एक चारण परिवार में हुआ था. परंपरागत रूप से चारण कवि या दरबारी कवि और वंशावलीकार होते हैं. कथा यह भी है कि रिधि कंवर 21 महीने तक अपनी मां के गर्भ में रहीं और उनके आ...

Padmanabhaswamy Temple: दुनिया का नंबर एक मंदिर, जहां नारियल के खोल में मिलता है प्रसाद

Padmanabhaswamy Temple: दुनिया का नंबर एक मंदिर कहलाता है केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम स्थित भगवान विष्णु को समर्पित पद्मनाभस्वामी मंदिर. यह मंदिर अपनी अमीरी को लेकर हमेशा चर्चा में रहता है. जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ प्रमुख बातें. भगवान विष्णु को समर्पित है असाधारण और अलौकिक मंदिर पद्मनाभस्वामी मंदिर. यह दक्षिण-पश्चिमी राज्य केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम स्थित है. मंदिर का सबसे पहला उल्लेख 8वीं या 9वीं शताब्दी ई. से मिलता है. संभवतः मंदिर इससे भी पुराना है. मंदिर का निर्माण और पुनर्निर्माण कई सदी तक किया जाता रहा. अंतिम निर्माण त्रावणकोर के राजा मार्तंड वर्मा ने 1750 में किया और देवता को दान कर दिया था. 2011 में यह मंदिर दुनिया भर में चर्चित हो गया. दरअसल, इसके (Padmanabhaswamy Temple) तहखानों की खोज में 22 बिलियन डॉलर (18 खरब से भी अधिक रुपये) मूल्य के रत्न, कीमती धातुयें और अन्य खज़ाने मिले थे. क्या हैं श्रीविष्णु के पद्मनाभस्वामी स्वरुप के अर्थ (Meaning of Padmanabhaswamy) पद्मनाभस्वामी मंदिर विष्णु के उस रूप में समर्पित है, जिसमें भगवान शेषनाग पर विश्राम कर रहे हैं. शे...