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Raksha Bandhan 2025 : शुभ मुहूर्त में बांधें राखी, जानें इसकी कथा और पूजा विधि

Raksha Bandhan 2025 : रक्षा बंधन शनिवार, 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा. पवित्र धागा राखी बांधने का शुभ समय सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक है. जानें रक्षा बंधन की पौराणिक कथा और पूजा विधि. रक्षा बंधन भाई-बहन के पवित्र बंधन का उत्सव मनाने का दिन है. इस अवसर पर बहनें अपने भाइयों की कलाई पर प्यार और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में राखी बांधती हैं. दोनों एक-दूसरे की सुरक्षा और समृद्धि की कामना करते हैं. इस त्योहार की उत्पत्ति के बारे में कई प्रचलित पौराणिक कथायें हैं. सबसे पहले जानते हैं राखी बांधने का शुभमुहूर्त. रक्षा बंधन की तारीख और शुभ मुहूर्त (Raksha Bandhan 2025 Dates & Shubh Muhurt) पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त को दोपहर 2:12 बजे शुरू होगी और 9 अगस्त को दोपहर 1:24 बजे समाप्त होगी. हिंदू धर्म में सूर्य की उदय तिथि महत्वपूर्ण होने के कारण रक्षा बंधन शनिवार, 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा. राखी बांधने का शुभ समय: सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक. क्या है रक्षा बंधन की पूजा विधि (Raksha Bandhan Puja Vidhi) रक्षा बंधन पूजा में बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है. उसकी सलामती की प्...

Shravan Month : शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद खाएं या नहीं

इस वर्ष श्रावण माह 11 जुलाई से शुरू हो रहा है. ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस वर्ष सावन माह में दुर्लभ संयोग बन रहा है. सावन माह के दौरान सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, शिव योग जैसे शुभ योगों का संयोग बन रहे हैं. इस वर्ष श्रावण माह 11 जुलाई से शुरू हो रहा है. 10 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा यानी गुरु पूर्णिमा है. 11 जुलाई से गुरु आदित्य योग का शुभ संयोग बन रहा है, जिसमें श्रावण माह की भी शुरुआत होगी. इस वर्ष आयुष्मान और सौभाग्य योग के साथ 9 अगस्त को स्नानदान की पूर्णिमा और रक्षाबंधन के साथ सावन का समापन हो जाएगा. सावन का पहला सोमवार व्रत 14 जुलाई को, दूसरा 21 जुलाई को, तीसरा 28 जुलाई को और चौथा सोमवार व्रत 4 अगस्त को होगा. दुर्लभ है सावन माह का संयोग ज्योतिषाचार्य अनिल जैन के अनुसार, इस वर्ष सावन माह में दुर्लभ संयोग बन रहा है. सावन माह के दौरान सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, शिव योग जैसे शुभ योगों का संयोग बन रहे हैं. इस साल कुल 4 सावन सोमवार पड़ रहे हैं. सावन सोमवार के चार व्रत के अलावा, इस माह में हरियाली अमावस्या, हरियाली तीज, नाग पंचमी, कामिका एकादशी, सावन पुत्रदा एकादशी...

Shravan Month 2025: जानें शुरुआत तिथि, धार्मिक महत्व और व्रत त्योहारों की पूरी सूची

Shravan Month 2025 : वैदिक कैलेंडर के अनुसार, आषाढ़ पूर्णिमा के बाद आने वाला श्रावण मास 11 जुलाई, 2025 को शुरू होकर 9 अगस्त, 2025 को समाप्त हो जाएगा. भोले शंकर का माह कहलाने वाले श्रावण या सावन माह का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व बहुत अधिक है. श्रावण मास को सावन माह के नाम से भी जाना जाता है. यह भोले शिव शंकर का माह माना जाता है. मान्यता है कि श्रीविष्णु जी के शयन करने (चातुर्मास) के कारण शिवजी ही सृष्टि का संचालन करते हैं. यह महीना धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, खासकर भगवान शिव के भक्तों के लिए, जिसमें सावन सोमवार व्रत सहित कई व्रत और त्योहार (Shravan Month 2025) मनाए जाते हैं. कब से कब तक है श्रावण मास (Shravan Month Date & Time 2025) द्रिक पंचांग में उपलब्ध जानकारी के अनुसार, श्रावण मास 11 जुलाई 2025, शुक्रवार को रात 11:07 बजे से शुरू होकर 9 अगस्त 2025, शनिवार को दोपहर 2:08 बजे समाप्त हो जाएगा. आषाढ़ पूर्णिमा 10 जुलाई को दोपहर 1:36 बजे से 11 जुलाई को दोपहर 2:06 बजे तक रहेगा. श्रावण का पहला दिन, जिसे प्रतिपदा के रूप में जाना जाता है. यह 11 जुलाई को होगा. श्रावण माह का ध...

Guru Purnima 2025: जानें गुरु पूर्णिमा का इतिहास और बौद्ध-जैन धर्म में इसकी महत्ता

Guru Purnima 2025: हमारे जीवन में 'गुरुओं' या शिक्षकों का सम्मान करने का दिन है गुरु पूर्णिमा. हिंदू कैलेंडर में यह 'आषाढ़' महीने की पूर्णिमा के दिन पड़ता है. इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 10 जुलाई 2025, गुरुवार को मनाई जाएगी. हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा को हम 'व्यास पूजा' के रूप में भी मनाते हैं. गुरु की वंदना करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए इस दिन मंत्रों का जाप किया जाता है. पूरे दिन भक्ति गीत और भजन गाए जाते हैं. गुरु की याद में पवित्र ग्रंथ गुरु गीता का भी पाठ किया जाता है. फूल और उपहार चढ़ाए जाते हैं. ऋषि वेद व्यास की भी पूजा-अर्चना की जाती है. गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima 2025) के अवसर पर भक्तों के बीच 'प्रसाद' और 'चरणामृत' भी बांटा जाता है. गुरु पूर्णिमा का इतिहास (History of Guru Purnima) गुरु पूर्णिमा की पौराणिक कथा ऋषि वेद व्यास के जन्म से जुड़ी है. ऋषि वेद व्यास को महाभारत और पुराणों का लेखक कहा जाता है. मान्यता है कि उन्होंने वेदों को चार भागों में विभाजित और संपादित किया था. गुरु पूर्णिमा का दिन वेद व्यास का आशीर्वाद लेने के ल...

Jyeshtha Month 2025 : 10 जून को अंतिम बड़ा मंगल है विशेष पुण्यदायक

Jyeshtha Month 2025 : इस साल ज्येष्ठ का पवित्र महीना मंगलवार, 13 मई को शुरू हुआ, जो 11 जून 2025 तक चलेगा. माह मंगलवार से शुरू होने के कारण इसका हर मंगलवार बड़ा मंगल कहलाता है. मंगलवार को भक्तों की हर कठिन परिस्थिति में मदद करने वाले भगवान हनुमान की पूजा होती है. ज्येष्ठ माह का अंतिम बड़ा मंगल 10 जून को है. इस दिन को विशेष पुण्य देने वाला माना जा रहा है. ज्येष्ठ का महीना सनातन धर्म में गहन आध्यात्मिक महत्व वाला है. इस महीने में गर्मी चरम पर होती है. यही वह समय है जब भारत भर में भक्त शक्ति और आशीर्वाद लेने के लिए भगवान हनुमान की विशेष पूजा करते हैं. खासकर मंगलवार को. ज्येष्ठ महीने की शुरुआत मंगलवार को होने के कारण माह का हर मंगल बड़ा मंगल कहलाता है. मान्यता है कि प्रत्येक बड़ा मंगल को हनुमान जी की पूजा करने पर उनका दिव्य आशीर्वाद (Jyeshtha Month 2025 ) मिलता है. 10 जून को अंतिम बड़ा मंगल (Last Bada Mangal) बड़ा मंगल को बुढ़वा मंगल के नाम से भी जाना जाता है. ज्येष्ठ महीने में पांच मंगलवार है, जो बड़ा मंगल है. ये तिथियां हैं-13 मई, 20 मई, 27 मई, 3 जून और 10 जून. 10 जून को अंतिम बड़...

Ashadha Gupta Navratri 2025 : तांत्रिक अनुष्ठान से मिलती है हर प्रकार की कठिनाइयों से मुक्ति

Ashadha Gupta Navratri 2025 : आषाढ़ गुप्त नवरात्र 26 जून 2025, गुरुवार से शुरू होकर 4 जुलाई 2025, शुक्रवार को समाप्त हो जाएगा. इस नवरात्र को गायत्री नवरात्र के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि आषाढ़ गुप्त नवरात्र पूजन तांत्रिक अनुष्ठान के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे भक्त को सभी प्रकार की कठिनाइयों से मुक्ति मिल जाती है. आषाढ़ गुप्त नवरात्र गायत्री नवरात्र भी कहलाता है. यह 10 महाविद्याओं (प्रमुख देवियों) की पूजा के लिए समर्पित है. माना जाता है कि 10 महाविद्या उन लोगों को दुर्लभ आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करती हैं जो इन नौ पवित्र दिनों के दौरान गहन ध्यान और तपस्या करते हैं. भक्तगण अपनी सभी परेशानियों से मुक्ति (Ashadha Gupta Navratri 2025) पा लेते हैं. कब है आषाढ़ गुप्त नवरात्र 2025 (GuptA Navratri 2025 Date & Time) आषाढ़ गुप्त नवरात्र 26 जून 2025, गुरुवार से शुरू होकर 4 जुलाई 2025, शुक्रवार को समाप्त हो जाएगा. क्या है घटस्थापना का मुहूर्त (Gupta Navratri 2025 Muhurta) द्रिक पंचांग में उपलब्ध जानकारी के अनुसार, घटस्थापना (कलश स्थापना) के लिए शुभ समय 26 जून को सुबह 5:25 बज...

Chaturmas 2025: चार महीने का आध्यात्मिक तप, व्रत और नियमों की पूरी जानकारी

चार महीने की अवधि है चातुर्मास, जो देवशयनी एकादशी से शुरू होकर देवोत्थान एकादशी पर समाप्त होती है. यह भक्ति, तपस्या और आध्यात्मिक अभ्यास के लिए पवित्र समय माना जाता है. चातुर्मास 2025 की अवधि 6 जुलाई से 1 नवंबर 2025 तक होगी. चातुर्मास्य हिंदू चंद्र माह आषाढ़ या देवशयनी एकादशी के ग्यारहवें दिन से शुरू होता है. यह उस दिन के रूप में मनाया जाता है जब देवता विष्णु अपने शेषनाग पर चार महीने की अवधि के लिए योग निद्रा में लीन हो जाते हैं और प्रबोधिनी एकादशी को जागते हैं. चातुर्मास (Chaturmas 2025) का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है. क्या है चातुर्मास (What is Chaturmas) चातुर्मास्य एक संस्कृत शब्द है, जिसे चातुर्मास भी कहा जाता है. यह चार महीनों की एक पवित्र अवधि है, जो हिंदू धर्म में शयनी एकादशी (जून-जुलाई) से शुरू होकर प्रबोधिनी एकादशी (अक्टूबर-नवंबर) पर समाप्त होती है. यह अवधि मानसून मौसम के साथ भी मेल खाती है. चातुर्मास्य विशेष रूप से तपस्या, उपवास, पवित्र नदियों में स्नान और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए महत्वपूर्ण है. भक्त किसी न किसी प्रकार का व्रत रखने का संकल्प लेते...

Nirjala Ekadasi 2025: स्वास्थ्य नहीं दे रहा उपवास की इजाजत, तो करें ये उपाय

Nirjala Ekadasi : इस वर्ष 6 जून 2025 को निर्जला एकादशी है. यदि खराब स्वास्थ्य या अन्य कारण से निर्जला एकादशी का उपवास रखने में आप सक्षम नहीं हैं. तो इन उपायों से इसे करने के बराबर फल प्राप्त किया जा सकता है. धार्मिक दृष्टिकोण से निर्जला एकादशी का बहुत अधिक महत्व है. ज्येष्ठ (आमतौर पर मई या जून) माह में चंद्रमा के बढ़ते चरण के 11वें दिन एकादशी मनाई जाती है. यह दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु को समर्पित है. निर्जला एकादशी को सबसे महत्वपूर्ण एकादशियों में से एक माना जाता है. इस वर्ष 6 जून 2025 को निर्जला एकादशी है. यदि खराब स्वास्थ्य या अन्य कारणों से निर्जला एकादशी का उपवास नहीं रख पा रहे हैं, तो इसके लिए बहुत अधिक सोचने की जरूरत नहीं है. कुछ उपाय अपनाकर इस एकादशी (Nirjala Ekadasi ) के पुण्य को प्राप्त करने की मान्यता है. निर्जला का क्या है अर्थ (Meaning of Nirjala Ekadasi) निर्जला एकादशी के दिन आमतौर पर भक्त बिना कुछ खाए और पानी पिए उपवास करते हैं. इसलिए इसका नाम "निर्जला" है. इसका अर्थ है "बिना पानी के" की जाने वाली एकादशी. माना जाता है कि इस व्रत को भक्ति...

Kurma Jayanti 2025: भगवान विष्णु के दूसरे अवतार कच्छप अवतार की पूजा-अर्चना

Kurma Jayanti 2025: कूर्म जयंती के अवसर पर भगवान विष्णु के दूसरे अवतार कूर्म यानी कच्छप अवतार की पूजा-अर्चना की जाती है. समुद्र मंथन के समय कूर्म के रूप में अवतार लेकर श्री विष्णु जी ने मंदराचल पर्वत की रक्षा की. कूर्म जयंती 12 मई को है. कूर्म जयंती भगवान विष्णु की जयंती है. कूर्म सत्य युग के दौरान भगवान विष्णु के दूसरे अवतार थे. इस दिन भगवान विष्णु के मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है. कूर्म अवतार में विष्णु जी एक कछुए के रूप में प्रकट हुए थे. जब समुद्र मंथन के दौरान मंदराचल पर्वत डूबने लगा, तो विष्णु जी ने कूर्म के रूप में अवतार लिया. उन्होंने मंदराचल पर्वत को अपनी पीठ पर धारण किया. कूर्म अवतार को कूर्म अवतार या कच्छपावतार के नाम से भी जाना जाता है. इस वर्ष कूर्म जयंती 12 मई (Kurma Jayanti 2025) को है. समुद्र मंथन से जुड़ा है कूर्म अवतार पौराणिक कथाओं में कूर्म भगवान विष्णु का दूसरा अवतार है, जो कछुए का रूप धारण करता है. संस्कृत में "कूर्म" शब्द का अर्थ "कछुआ" होता है. यह अवतार विशेष रूप से समुद्र मंथन से जुड़ा हुआ है. जहां कूर्म के रूप में विष...

Vaishakha Purnima 2025: विशेष आध्यात्मिक महत्व वाला पूर्णिमा

Vaishakha Purnima 2025: वैशाख पूर्णिमा का बहुत अधिक आध्यात्मिक महत्व है. बुद्ध पूर्णिमा भी इस दिन मनाई जाती है, यह भगवान नरसिंह जयंती के ठीक बाद आती है. इस वर्ष 12 मई को वैशाख पूर्णिमा है. हिंदुओं में सभी पूर्णिमा तिथियों को शुभ माना जाता है. वैशाख पूर्णिमा हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार वर्ष की दूसरी पूर्णिमा है और यह नरसिंह जयंती के ठीक बाद आती है. सभी पूर्णिमा के दिन कुछ खास होता है. बुद्ध जयंती वैशाख पूर्णिमा के दिन पड़ती है और इस दिन को गौतम बुद्ध की जयंती के रूप में मनाया जाता है. वैशाख पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व है. वैशाख पूर्णिमा का महत्व (Vaishakha Purnima Significance) भक्तगण वैशाख पूर्णिमा का व्रत रखते हैं और मंत्र और भजन गाकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. भगवान सत्यनारायण की भी पूजा होती है, जो भगवान विष्णु का अत्यंत कृपालु रूप माना जाता है. पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण व्रत भी रखा जाता है. कई समुदाय अपनी कुल परंपरा के अनुसार पूर्णिमा तिथि पर एक दिन का उपवास रखते हैं. इस दिन सत्य नारायण कथा भी की जाती है। पूजा के बाद पानी से भरा घड़ा दान करने की मान्यता है. मा...

Sita Navami 2025: सीताजी देती हैं विपरीत परिस्थिति में भी धैर्य नहीं खोने का संदेश

Sita Navami 2025: सीता नवमी जानकी नवमी या सीता जयंती के नाम से भी जाना जाता है. यह त्योहार भारतीय मान्यताओं में सबसे सम्मानित स्त्रियों में से एक सीताजी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. सीता जयंती वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है. इस वर्ष यह तिथि 5 मई 2025 है. सीताजी अपने भक्तों को विपरीत परिस्थिति में भी धैर्य नहीं खोने का संदेश देती हैं. सीता नवमी को देवी सीता के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस दिन को सीता जयंती के रूप में भी जाना जाता है. विवाहित स्त्रियां सीता नवमी के दिन व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. सीता न सिर्फ आदर्श पत्नी थीं, बल्कि एक वीर स्त्री भी थीं. उन्होंने न सिर्फ शास्त्र और अस्त्र की शिक्षा ग्रहण की. बल्कि जंगल में रहकर लव-कुश को भी शिक्षा दी. जानते हैं इस दिन सीता माता (Sita Navami 2025) की किस तरह पूजा की जाती है. सीता नवमी मुहूर्त (Sita Navami 2025 Muhurat) सीता नवमी मध्याह्न क्षण - दोपहर 12:18 बजे नवमी तिथि शुरू - 05 मई, 2025 को सुबह 07:35 बजे नवमी तिथि समाप्त - 06 मई, 2025 को सुबह 08:38 ब...

Narada Jayanti 2025: पूरे ब्रह्मांड में सूचना का संचार करते हैं नारद मुनि

Narada Jayanti 2025: स्वर्ग और पृथ्वी लोक पर सुख और दुख का समाचार सुनाने वाले नारद मुनि प्रथम पत्रकार माने जाते हैं. सूचना का संचार करने के लिए वे पूरे ब्रह्मांड में यात्रा करते रहते हैं. देवर्षि नारद मुनि के जन्मदिवस के रूप में नारद जयंती मनाई जाती है. मंगलवार, 13 मई, 2025 को नारद जयंती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवर्षि नारद सुर और असुर के बीच सूचना के प्राथमिक स्रोत माने जाते हैं. नारद मुनि के पास सभी लोकों, आकाश या स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल में जाने की क्षमता है. माना जाता है कि वे पृथ्वी पर पहले पत्रकार हैं. नारद मुनि सूचना का संचार करने के लिए पूरे ब्रह्मांड में यात्रा करते रहते हैं. हालांकि, अधिकांश समय पर उनकी दी गई जानकारी परेशानी पैदा करती है, लेकिन यह ब्रह्मांड की भलाई (Narada Jayanti 2025) के लिए है. नारद जयंती की तिथि और समय (Narada Jayanti 2025 Date & Time) प्रतिपदा तिथि प्रारंभ - 12 मई, 2025 को रात्रि 10:25 बजे प्रतिपदा तिथि समाप्त - 14 मई, 2025 को प्रातः 12:35 बजे बुद्ध पूर्णिमा के अगले दिन नारद जयंती (Next Day of Buddha Purnima 2025) ऋषि नारद भगवान नाराय...

Apara Ekadashi 2025 : अपरा एकादशी है अचला एकादशी

अपरा एकादशी को अचला एकादशी भी कहा जाता है. यह ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की 11वीं तिथि को मनाई जाती है. संस्कृत में अपार का अर्थ है "असीम" आशीर्वाद. मान्यता है कि इस व्रत का पालन करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है. इस वर्ष अपरा एकादशी 23 मई 2025 को है. अपरा एकादशी ही अचला एकादशी (Achala Ekadashi 2025) कहलाती है. अपरा का अर्थ है अपार या अतिरिक्त. एकादशी व्रत का पालन करने से लोगों को भगवान श्रीहरि विष्णु की अपार भक्ति प्राप्त होती है. भक्ति में वृद्धि होती है. इस लाभकारी व्रत के कारण भक्तों के हृदय में भक्ति और श्रद्धा निरंतर बढ़ती जाती है. जानते हैं अपर एकादशी का समय और व्रत कथा. अपरा एकादशी समय Apara Ekadashi Date & Time) द्रिक पंचांग में उपलब्ध जानकारी के अनुसार, एकादशी तिथि प्रारम्भ - 23 मई 2025 को प्रातः 01:12 बजे एकादशी तिथि समाप्त - 23 मई 2025 को रात्रि 10:29 बजे 24 मई को पारण समय - प्रातः 05:26 बजे से प्रातः 08:11 बजे तक पारण के दिन द्वादशी तिथि समाप्ति क्षण - सायं 07:20 बजे क्या है अपरा एकादशी की कथा (Importance of Apara Ekadashi) एक बार श्रीकृष्ण...

Vat Savitri Puja 2025 : पति की लंबी आयु की कामना के लिए वट सावित्री पूजा

पति और परिवार के स्वस्थ जीवन और लंबी आयु की कामना पूरी करने के लिए स्त्रियां वट सावित्री व्रत रखती हैं. यह व्रत त्योहार ज्येष्ठ महीने में अमावस्या (नवचंद्र) के दिन मनाई जाती है. इस वर्ष वट सावित्री व्रत 26 मई को रखी जाएगी. ज्येष्ठ अमावस्या या वट सावित्री व्रत भारत में एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है. यह त्योहार हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में ज्येष्ठ अमावस्या के रूप में मनाया जाता है. इसे दक्षिणी राज्यों, गुजरात और महाराष्ट्र में वट पूर्णिमा व्रत के रूप में मनाया जाता है. त्योहार के दिन हिंदू महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र और बढ़िया स्वास्थ्य के लिए उपवास और प्रार्थना करती हैं. वट सावित्री व्रत 2025 शुभ मुहूर्त (Vat Savitri Vrat 2025 Date and Shubh Muhurat) वट सावित्री व्रत हर वर्ष ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि का प्रारम्भ 26 मई 2025 को दिन में 12:11 बजे होगा और 27 मई 2025 को सुबह 08:31 बजे इसका समापन होगा. वट सावित्री व्रत महत्व (Vat Savitri Katha importance) य...

Jyeshtha Month Vinayak Chaturthi 2025: क्यों मनाई जाती है हर महीने विनायक चतुर्थी

Jyeshtha Month Vinayak Chaturthi 2025 : प्रत्येक चंद्र माह में दो चतुर्थी तिथियां होती हैं. मान्यता है कि चतुर्थी तिथि के दिन ही भगवान गणेश प्रकट हुए थे. कृष्ण पक्ष में पूर्णिमा के बाद की चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष में अमावस्या के बाद की चतुर्थी विनायक चतुर्थी कहलाती है. इस वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की विनायक चतुर्थी शुक्रवार, 30 मई 2025 को है. विनायक चतुर्थी भगवान गणेश के जन्म और पौराणिक कथाओं में उनके महत्व के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए मनाई जाती है. कथा (Vinayak Chaturthi Mythology) है कि भगवान गणेश को भगवान शिव की पत्नी देवी पार्वती ने अपने शरीर की मिट्टी का उपयोग करके बनाया था. माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन भगवान पृथ्वी पर आते हैं, वे विसर्जन के बाद अपने दिव्य निवास की ओर लौट जाते हैं. गणेश चतुर्थी का उत्सव जन्म, जीवन और मृत्यु के चक्र के महत्व (Jyeshtha Month Vinayak Chaturthi 2025) को भी दर्शाता है. ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी का महत्व (Jyeshtha Vinayak Chaturthi Significance) विनायक चतुर्थी हिंदू कैलेंडर में हर महीने मनाई जाती है, जिसमें सबसे महत...

Shani Pradosha vrat 2025 : कब होगा शनि प्रदोष व्रत

Shani Pradosha vrat 2025 : न्याय के देवता हैं शनिदेव. नकारात्मकता और बुरे विचारों को दूर करता है शनि प्रदोष व्रत. दूसरों को स्वस्थ और अनुशासन में रखना उनकी जिम्मेदारी है. शनि प्रदोष व्रत शनिवार, 24 मई 2025 को है. क्यों किया जाता है शनि प्रदोष व्रत! प्रदोष व्रत चंद्र मास में दोनों त्रयोदशी तिथियों, यानी शुक्ल पक्ष त्रयोदशी और कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को मनाया जाता है. प्रदोष व्रत के लिए दिन तय किया जाता है जब त्रयोदशी तिथि सूर्यास्त के बाद शुरू होने वाले प्रदोष काल के दौरान पड़ती है. सूर्यास्त के बाद का समय जब त्रयोदशी तिथि और प्रदोष का समय ओवरलैप होता है, शिव पूजा के लिए शुभ होता है. जब प्रदोष का दिन शनिवार को पड़ता है, तब इसे शनि प्रदोष के रूप में जाना जाता है. शनि प्रदोष व्रत समय (Shani Pradosha vrat Timing) शनि कृष्ण प्रदोष व्रत शनिवार, 24 मई 2025 को प्रदोष पूजा मुहूर्त- 07:20 पीएम से 09:13 पीएम तक अवधि - 01 घंटा 54 मिनट दिन प्रदोष समय - 07:10 PM से 09:13 PM तक त्रयोदशी तिथि प्रारंभ - 24 मई, 2025 को 07:20 PM बजे त्रयोदशी तिथि समाप्त - 25 मई, 2025 को 03:51 PM बजे शनि प्रदोष...

Vrishabha Sankranti 2025: वृषभ संक्रांति का क्या है पुण्य काल मुहूर्त, कैसे करें पूजन

Vrishabha Sankranti 2025: जब सूर्य वृषभ राशि में प्रवेश करता है, तो वृषभ संक्रांति मनाई जाती है. वृषभ संक्रांति के दौरान गोदान अत्यधिक शुभ माना जाता है. 15 मई को वृषभ संक्रांति है. वृषभ संक्रांति सौर कैलेंडर में दूसरे महीने की शुरुआत का प्रतीक है. वर्ष में सभी बारह संक्रांति दान-पुण्य गतिविधियों के लिए अत्यधिक शुभ हैं. प्रत्येक संक्रांति क्षण से पहले या बाद में केवल कुछ अवधि तक ही संक्रांति से संबंधित गतिविधियों के लिए शुभ मानी जाती है. इस वर्ष वृषभ संक्रांति 15 मई (Vrishabha Sankranti 2025) को है. दान और पुण्य कमाने का समय (Vrishabha Sankranti Daan Kaal) द्रिक पंचांग में उपलब्ध जानकारी के अनुसार, वृषभ संक्रांति के लिए संक्रांति क्षण से पहले सोलह घटी (sixteen Ghatis) शुभ मानी जाती है. संक्रांति से पहले सोलह घटी से लेकर संक्रांति तक का समय सभी दान-पुण्य गतिविधियों के लिए बढ़िया माना जाता है. वृषभ संक्रांति के दौरान गाय को उपहार में देना जिसे गोदान भी कहा जाता है, अत्यधिक शुभ माना जाता है. दक्षिण भारत में संक्रांति को संक्रमनम कहा जाता है. वृषभ संक्रांति के लिए पुण्य काल मुहूर्त (V...

30 अप्रैल को अक्षय तृतीया, 17 साल बाद रोहिणी नक्षत्र और बुधवार दिन का शुभ संयोग

इस वर्ष मनाया जाने वाला अक्षय तृतीया विशेष है. ज्योतिषशास्त्री के अनुसार 17 साल बाद रोहिणी नक्षत्र और बुधवार दिन का शुभ संयोग बन रहा है. ऐसा योग अब 27 साल बाद बनेगा. हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि अक्षय तृतीया कहलाती है. अक्षय का अर्थ है, जिसका कभी क्षय नहीं हो. जो स्थायी रहे. इस दिन किया गया दान, पूजन, हवन सहित हर पुण्य कार्य अक्षय फल देता है. कोई भी शुभ कार्य और नई शुरुआत के लिए इसे स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है। ज्योतिषशास्त्री के अनुसार, इस वर्ष मनाया जाने वाला अक्षय तृतीया विशेष है. ज्योतिषशास्त्री के अनुसार 17 साल बाद रोहिणी नक्षत्र और बुधवार दिन का शुभ संयोग बन रहा है. ऐसा योग अब 27 साल बाद बनेगा. युगादितिथि है अक्षय तृतीया ज्योतिषशास्त्री डॉ. अनिल शास्त्री के अनुसार, 'अक्षय तृतीया के दिन त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी. इसलिए इसे युगादितिथि भी कहते हैं. इस बार तृतीया 29 अप्रैल मंगलवार शाम 5:32 से शुरू हो जाएगी और 30 अप्रैल दोपहर 2.15 बजे तक रहेगी. बुधवार को सूर्योदय व्यापिनी तिथि होने के कारण अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को मनाई जाएगी. दस म...

Vallabhacharya Jayanti 2025 : श्रीकृष्ण के श्रीनाथजी स्वरुप की पूजा करते थे भारतीय संत और दार्शनिक वल्लभाचार्य

वल्लभाचार्य या वल्लभ दीक्षित के नाम से जाने जाने वाले श्री वल्लभाचार्य भारतीय संत और दार्शनिक थे. उन्होंने भारत के ब्रज क्षेत्र में वैष्णव धर्म के कृष्ण-केंद्रित पुष्टिमार्ग संप्रदाय की स्थापना की. इस वर्ष गुरुवार के दिन 24 अप्रैल 2025 को उनकी जयंती मनाई जा रही है. वल्लभाचार्य जयंती को श्री वल्लभाचार्य जयंती के रूप में भी जाना जाता है. इस वर्ष यह गुरुवार के दिन 24 अप्रैल 2025 को मनाई जा रही है. वल्लभ आचार्य प्रतिष्ठित हिंदू दार्शनिक और पुष्टि संप्रदाय के संस्थापक हैं. यह दिन पूरे भारत में विशेष रूप से गुजरात, महाराष्ट्र, चेन्नई, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में बहुत उत्साह के साथ मनाया (Vallabhacharya Jayanti 2025) जाता है. श्री वल्लभाचार्य की 546वीं जयंती (Vallabhacharya 546 Jayanti) वल्लभाचार्य जयंती वल्लभ आचार्य के जन्म का स्मरण कराती है. द्रिक पंचांग के अनुसार, यह श्री वल्लभाचार्य की 546वीं जयंती है. वल्लभाचार्य को ब्रज क्षेत्र में शुद्ध अद्वैत दर्शन और कृष्ण-केंद्रित पुष्टिमार्ग की स्थापना के लिए जाना जाता है. वे भगवान कृष्ण के एक समर्पित अनुयायी थे. वे श्रीकृष्ण की पूजा श...

Surdas Jayanti 2025 : श्रीकृष्ण के प्रति अद्भुत प्रेम और भक्ति प्रकट करने वाले संत

Surdas Jayanti 2025 : महान संत और कवि संत सूरदास जयंती शुक्रवार, 2 मई, 2025 को मनाई जा रही है. मान्यता के अनुसार, इस वर्ष सूरदास जी की 547वीं जयंती है. हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार, सूरदास जयंती वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि को पड़ती है, जो आमतौर पर अप्रैल या मई में होती है. सूरदास जयंती 2025 तिथि और समय (Surdas Jayanti 2025 Date and Time) सूरदास जयंती - शुक्रवार, 2 मई 2025 पंचमी तिथि 01 मई, 2025 को सुबह 11:23 बजे शुरू होगी पंचमी तिथि 02 मई, 2025 को सुबह 09:14 बजे समाप्त होगी कौन थे संत सूरदास (Saint Surdas)? संत सूरदास का जन्म 1478 ई. में हुआ था. अधिकांश इतिहासकार उनका जन्मस्थान हरियाणा के फरीदाबाद के सीही गाँव में मानते हैं. कुछ इतिहासकार मानते हैं कि उनका जन्म आगरा के पास रुनकता में हुआ था. जन्म से अंधे सूरदास को अपने परिवार और समाज से उपेक्षा का सामना करना पड़ा. लेकिन उनके गहरे आध्यात्मिक झुकाव ने उन्हें केवल छह साल की उम्र में घर छोड़ने और भगवान कृष्ण को समर्पित करने के लिए प्रेरित किया. बहुत कम उम्र से ही वे श्रीकृष्ण की स्तुति करते थे. वे श्रीकृष्ण के बाल ...