Nashik Simhastha Kumbh Mela: 31 अक्टूबर 2026 से होगा आरंभ, 21 महीने तक चलेगा नासिक-त्र्यंबकेश्वर सिंहस्थ कुंभ मेला

नासिक और त्र्यंबकेश्वर सिंहस्थ कुंभ मेला (Nashik Simhastha Kumbh Mela) 31 अक्टूबर 2026 से जुलाई 2028 के बीच 21 महीने से अधिक समय तक चलेगा. नासिक में 12 साल में एक बार होने वाले इस धार्मिक उत्सव के लिए राज्य में अभी से तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. महाराष्ट्र सरकार के अनुमान के मुताबिक, पिछली बार 2015-16 की तुलना में इस बार 12 गुना अधिक श्रद्धालु आ सकते हैं. त्र्यंबकेश्वर और नासिक के रामकुंड में 31 अक्टूबर 2026 की दोपहर 12:02 बजे पारंपरिक ध्वजारोहण के साथ सिंहस्थ कुंभ मेला की शुरुआत हो जाएगी. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और दस शैव अखाड़ों के 20 महंत और तीन वैष्णव अखाड़ों के 6 महंतों की मौजूदगी में पुरोहित संघ द्वारा निकाली गई तारीखों की घोषणा की गई. महाराष्ट्र सरकार सिंहस्थ कुंभ मेला पर लगभग 15 हजार करोड़ रुपए खर्च करने की योजना बना रही है. अब तक 6000 करोड़ रुपए के काम शुरू हो चुके हैं. सरकार के अनुमान के मुताबिक, पिछली बार की तुलना में 12 गुना अधिक श्रद्धालु आ सकते हैं. 2015-16 में त्र्यंबक और नासिक में एक करोड़ श्रद्धालु (Nashik Simhastha Kumbh Mela) आए थे. सिंहस्थ कुंभ के अमृत स्नान (Simhastha Kumbh Amrut Snan) शैव और वैष्णव अखाड़ों के महंतों द्वारा निकाले गए मुहूर्त के अनुसार, 29 जुलाई 2027 को नासिक में नगर प्रदक्षिणा होगी. पहला अमृत स्नान (1st Amrut Snan): 2 अगस्त 2027 दूसरा अमृत स्नान (2nd Amrut Snan) : 31 अगस्त 2027 तीसरा और अंतिम अमृत स्नान (3rd Amrut Snan) : 11 सितंबर 2027 को नासिक : 12 सितंबर 2027 को त्र्यंबकेश्वर में होगा. नासिक में 22 और त्र्यंबकेश्वर में 53 स्नान के मुहूर्त होंगे. ध्वज 24 जुलाई 2028 को उतारा जाएगा, जो सिंहस्थ कुंभ मेले (Nashik Simhastha Kumbh Mela) के समापन का प्रतीक होगा. क्या है सिंहस्थ कुंभ मेला (What is Simhastha Kumbh Mela) कुंभ उत्सव भारत में चार स्थानों पर ग्रहों की एक निश्चित खगोलीय स्थिति पर घूमता है. उनकी आत्मा शुद्ध होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है, इस विश्वास के साथ लाखों भक्त पवित्र नदियों में स्नान करते हैं. सिंहस्थ कुंभ के दौरान तीर्थयात्री शिप्रा नदी में पवित्र डुबकी लगाते हैं. सिंहस्थ कुंभ मेला त्र्यंबकेश्वर में कुशव्रत तीर्थ में आयोजित किया जाता है, जहां ज्योतिर्लिंगों में से एक और नासिक शहर में रामकुंड स्थित है. त्र्यंबकेश्वर गोदावरी नदी का उद्गम स्थल है, जबकि रामकुंड गोदावरी नदी के किनारे स्थित है. कुंभ और सिंहस्थ में अंतर (difference between Kumbh and Simhastha) मेले को सिंहस्थ भी कहा जाता है. यह तब आयोजित होता है जब ज्योतिष के अनुसार, बृहस्पति सिंह राशि में होता है. यह पारंपरिक रूप से कुंभ मेले के रूप में पहचाने जाने वाले चार मेलों में से एक है. इसे उज्जैन कुंभ मेला के रूप में भी जाना जाता है. पिछला सिंहस्थ कुंभ मेला वर्ष 2015-16 में नासिक और त्र्यंबकेश्वर में आयोजित किया गया था. आध्यात्मिकता का समागम कुंभ महोत्सव नासिक-त्र्यंबकेश्वर, प्रयाग (इलाहाबाद), हरिद्वार और उज्जैन में आयोजित किया जाता है.

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