Sri Sri Ravi Shankar: गलतियों से सीखकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहें विद्यार्थी

10 वीं और 12 वीं के परीक्षा परिणाम आने पर संभवतः कुछ छात्र बेहद खुश होंगे, तो कुछ निराश भी. आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर (Sri Sri Ravi Shankar) के अनुसार, ने बताया है कि असफलता पाने पर दुख के सागर में गोते लगाने की बजाय गलतियों से सीखकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना चाहिए. 10 वीं और 12 वीं के परीक्षा परिणाम आने वाले होंगे या आ चुके होंगे. कुछ छात्रों को अपने मन-मुताबिक़ परिणाम मिलेंगे, तो कुछ छात्र परिणाम देखकर असंतुष्ट होंगे. उन्हें यह लग सकता है कि यदि उन्होंने थोड़ी और अधिक मेहनत की होती, तो शायद परिणाम भी और अच्छे आते! आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने बताया है कि विद्यार्थी में तीन गुण जरूर होना चाहिए -स्वयं पर पूर्ण विश्वास, स्थिरता और दृढ़-संकल्प. कुछ विद्यार्थियों में इच्छा तो होती है, लेकिन उनमें वह दृढ़-संकल्प नहीं होता है कि वे अपनी इच्छा पूरी कर सकें. यदि किसी का व्यक्तित्व अस्थिर और दृढ़-संकल्पित नहीं है तो वे निश्चित ही जीवन के उतार-ंचढ़ाव में स्वयं को शिकार और पीड़ित के रूप में देख (Sri Sri Ravi Shankar) सकते हैं. समता के लिए स्थिरता जरूरी श्री श्री रविशंकर (Sri Sri Ravi Shankar) बताते हैं, आप कभी भी अपने चरम पर जा सकते हैं या फिर निम्न स्तर पर. इसलिए आपके लिए जरूरी है कि आप स्थिर हों, ताकि समता में रह सकें. आपमें शक्ति बनी रहे, आप मजबूत बने रहें. इसका मतलब जीवन के हर क्षेत्र में आपका व्यक्तित्व विकसित हो. शक्ति कई प्रकार की होती है. ज्ञान ही शक्ति है, प्रेम ही शक्ति है. करुणा और आपसी अपनापन भी शक्ति का स्वरूप है. क्षमा कर देना भी शक्ति है. शक्ति का मतलब बहुत सारा धन नहीं है. आपमें जितने भी गुण हैं, वे सब शक्ति के प्रतीक ही हैं. परिणाम चाहे जो भी आए, एक विद्यार्थी को हमेशा स्थिर बने रहना चाहिए. सही दिशा में करें मेहनत श्री श्री रविशंकर (Sri Sri Ravi Shankar) के अनुसार, एक विद्यार्थी का पहला गुण यह होना चाहिए कि वह पढ़ाई में सिद्ध हो और अपना करियर बनाने की दिशा में प्रयत्न करे. असफलता से घबराए नहीं, यह क्षणिक है. निरंतर एक दिशा की ओर मेहनत करते रहने पर सफलता जरूर मिलेगी. सही दिशा में मेहनत में कमी रहने पर ही हमें असफलता मिलती है. इसलिए जरूरी है कि एक बहुआयामी व्यक्तित्व का निर्माण करते हुए अपनी प्रतिभा को निखारें. विद्यार्थी जीवन ही वह समय है जब आप अपनी अधिकांश प्रतिभा को निखार सकते हैं. चुनौतियों का करें सामना श्री श्री रविशंकर (Sri Sri Ravi Shankar) के अनुसार, यहां यह जान लेना महत्वपूर्ण है कि केवल ठीक तरीके से पढ़ाई ही आजकल जरूरी नहीं है, बल्कि पढ़ाई के अतिरिक्त सह पाठ्यक्रम गतिविधियों को भी स्थान दिया जाना अनिवार्य है. विद्यार्थी अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें और कुछ ज्यादा नहीं सोचें कि ओह! मुझे यह पसंद नहीं है और मुझे यह छोडना है. पहले अपनी पढ़ाई खत्म कीजिए और फिर अन्य गतिविधियों पर जरूर ध्यान दीजिए. इस समय अपने प्रति सख्त नहीं बने रहिए. चुनौतियां प्रतिदिन आएंगी और यह प्रत्येक को आएंगी. प्रत्येक सफलता असफलता मिलने के बाद ही आती है. इसलिए चुनौतियों का सामना करें. असफलता से घबराकर धैर्य नहीं खोएं. शांत चित्त रहकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहें

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