Vat Savitri Puja 2025 : पति की लंबी आयु की कामना के लिए वट सावित्री पूजा
पति और परिवार के स्वस्थ जीवन और लंबी आयु की कामना पूरी करने के लिए स्त्रियां वट सावित्री व्रत रखती हैं. यह व्रत त्योहार ज्येष्ठ महीने में अमावस्या (नवचंद्र) के दिन मनाई जाती है. इस वर्ष वट सावित्री व्रत 26 मई को रखी जाएगी.
ज्येष्ठ अमावस्या या वट सावित्री व्रत भारत में एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है. यह त्योहार हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में ज्येष्ठ अमावस्या के रूप में मनाया जाता है. इसे दक्षिणी राज्यों, गुजरात और महाराष्ट्र में वट पूर्णिमा व्रत के रूप में मनाया जाता है. त्योहार के दिन हिंदू महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र और बढ़िया स्वास्थ्य के लिए उपवास और प्रार्थना करती हैं.
वट सावित्री व्रत 2025 शुभ मुहूर्त (Vat Savitri Vrat 2025 Date and Shubh Muhurat)
वट सावित्री व्रत हर वर्ष ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि का प्रारम्भ 26 मई 2025 को दिन में 12:11 बजे होगा और 27 मई 2025 को सुबह 08:31 बजे इसका समापन होगा.
वट सावित्री व्रत महत्व (Vat Savitri Katha importance)
यह त्योहार देवी सावित्री के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्होंने मृत्यु के देवता (यम राज) को अपने मृत पति को जीवन प्रदान करने के लिए बाध्य किया था. इस दिन, महिला बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं. हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार, यह उत्सव साल में दो बार मनाया जाता है.
घर पर वट सावित्री पूजा कैसे करें ((Vat Savitri Puja)
पूजा वेदी पर पवित्र वृक्ष का प्रतीक या फोटो रखें. वैवाहिक सुख और दीर्घायु की देवी सावित्री को समर्पित मंत्र या प्रार्थना पढ़ते हुए जल, चावल, फूल चढ़ाएं और अगरबत्ती जलाएं. पूजा के लिए पानी से भरा कलश, सफेद पवित्र धागा, हल्दी, कुमकुम और फूल लें. जल चढ़ाकर, माला पहनायें. हल्दी और कुमकुम का तिलक लगाकर अक्षत चढ़ायें. पेड़ के चारों ओर सफेद धागा बांधकर सात बार परिक्रमा करके बरगद के पेड़ की पूजा करें.
वाट सावित्री कथा (Vat Savitri Katha)
पौराणिक पात्र सावित्री सत्य का दर्शन कराती है जो सामान्य मन से परे अधिमानस और अतिमानसिक सत्य के दायरे में जाता है. इसलिए सावित्री को केवल तर्कसंगत रूप से वर्णित नहीं किया जा सकता है, बल्कि इसे महसूस, अनुभव और साकार किया जाना चाहिए. सावित्री अपने विषय के रूप में मानव जीवन और ब्रह्मांडीय तल पर किसी की आत्मा की गति को लेती है. वट सावित्री व्रत पत्नी और पति के बीच प्रेम और भक्ति की शक्ति के उत्सव का प्रतीक है. सावित्री और सत्यवान पति-पत्नी के समर्पण की शक्ति का उदाहरण हैं, जो मृत्यु को भी मात दे सकती है. यह पर्व वैवाहिक बंधन को मजबूत करता है और परिवारों में शांति और समृद्धि लाता है.
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