Anvadhan and Ishti: क्यों श्रीविष्णु को विशेष प्रिय हैं अन्वधान और इष्टि के दिन
Anvadhan and Ishti: श्रीविष्णु को विशेष प्रिय हैं अन्वधान और इष्टि के दिन. इन शुभ दिनों को श्रीविष्णु के भक्त या वैष्णव सम्प्रदाय के लोग महीने में दो बार अमावस्या और पूर्णिमा दोनों दिन मनाते हैं. जून 2025 में अन्वधान 11 और 25 जून को पड़ेगा, जबकि इष्टि 12 जून और 26 जून को होगी.
हिंदू धर्म में हर दिन विशेष है. प्रत्येक दिन किसी न किसी देवता को समर्पित है. सृष्टि के पालनहार श्री विष्णु जी के लिए सिर्फ एकादशी तिथि ही महत्व नहीं रखती है, बल्कि अमावस्या और पूर्णिमा भी पूजनीय तिथि है. अमावस्या और पूर्णिमा दोनों दिन में अन्वाधान और इष्टि व्रत-त्योहार मनाये जाते हैं. ये दोनों श्रीविष्णु जी के विशेष प्रिय दिन हैं.
अन्वधान और इष्टि तिथि (Anvadhan and Ishti Date)
द्रिक पंचांग कैलेंडर के अनुसार, जून 2025 में अन्वधान 11 और 25 जून को पड़ेगा, जबकि इष्टि 12 जून और 26 जून को होगी. द्रिक पंचांग के अनुसार, ये तिथियां क्रमशः ज्येष्ठ पूर्णिमा और आषाढ़ अमावस्या के अनुरूप हैं. अमावस्या के दिन अन्वधान किया जाता है तथा पूर्णिमा के दिन इष्टि की जाती है. ये दिन भगवान विष्णु की पूजा और भक्ति के लिए शुभ माने जाते हैं.
अन्वधान के क्या हैं अर्थ (Meaning of Anvadhan )
संस्कृत में अन्वधान का अर्थ है अग्निहोत्र. अग्निहोत्र हवन या होम को कहते हैं. हवन या होम करने के बाद पवित्र अग्नि को जलाए रखने के लिए ईंधन डालना ही अन्वधान है. इस दिन वैष्णव संप्रदाय से जुड़े लोग एक दिन का उपवास रखते हैं.
इष्टि के क्या हैं अर्थ (Meaning of Ishti)
बोलचाल की भाषा में इष्टि का मतलब इच्छा होता है. संस्कृत शब्द इष्टि किसी कार्य को करने और किसी देवता को कुछ प्राप्त करने के लिए आह्वान करने के बारे में बताता है. इष्टि एक अनुष्ठान है, जिसे भक्त अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए थोड़े समय के लिए करते हैं. यह एक 'हवन' की तरह है जो कुछ घंटों तक चलता है., जबकि हवन पूरे दिन, सप्ताह, महीने या सालों तक चल सकता है. वैष्णव सम्प्रदाय के अनुयायी इष्टी के दिन यज्ञ करके इस त्योहार को मनाते हैं.
इष्टि और अन्वधान का महत्व (Significance of Anvadhan and Ishti)
हिंदू कैलेंडर में इष्टि और अन्वधान दो अलग-अलग त्योहार हैं, जिन्हें लेकर कई तरह के भ्रम हैं. लोग अक्सर दोनों त्योहारों को लेकर भ्रमित हो जाते हैं. वे मानते हैं कि दोनों महत्वपूर्ण दिन एक ही हैं, जबकि ये दो अलग-अलग दिन हैं. इष्टि और अन्वधान दोनों दिन भक्तों द्वारा किए जाने वाले अनुष्ठानों से एक-दूसरे से जुड़े हुए जरूर हैं.
इष्टि से पहले अन्वधान मनाया जाता है. अन्वधान के दिन अनुयायी पूरे दिन उपवास रखते हैं, जबकि इष्टि के दिन अनुयायी यज्ञ करते हैं.
क्या है वैष्णव संप्रदाय (Vaishnava Sampradaya)
वैष्णव संप्रदाय को वैष्णववाद के नाम से भी जाना जाता है. यह हिंदू धर्म में एक संप्रदाय है, जो भगवान विष्णु को सर्वोच्च शक्ति के रूप में मानता है. भगवान विष्णु हिंदू त्रिदेवों में से एक हैं, अन्य दो देवता ब्रह्मा और शिव हैं. माना जाता है कि ब्रह्मा सृष्टि के निर्माता हैं, जबकि विष्णु रक्षक और शिव संहारक हैं. वैष्णव श्रीविष्णु को प्रमुख मानते हैं. भगवान विष्णु के मुख्य अवतारों को दशावतारम कहा जाता है. वे नौ अलग-अलग रूपों में प्रकट हो चुके हैं. मान्यता है कि वर्तमान युग, यानी कलियुग में कल्कि के रूप में उनका अवतरित होना अभी बाकी है.
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