ब्रेन को बिठा देता है लॉन्ग सिटिंग, शरीर के दूसरे अंग भी हो जाते हैं बुरी तरह से प्रभावित
अगर आप घंटों एक ही पोजीशन में बैठकर काम करते रहते हैं, तो यह आपके मस्तिष्क पर बहुत बुरा प्रभाव डालता है। शोध बताते हैं कि यह मस्तिष्क की कार्यक्षमता को प्रभावित करने के साथ-साथ उम्र बढ़ने पर डिमेंशिया और अल्जाइमर का कारण भी बन सकता है। लॉन्ग सिटिंग दिल, किडनी, फेफड़े को भी कर सकता है बीमार।
इन दिनों लोग घंटों एक पोजीशन में बैठकर घंटों कंप्यूटर पर काम करते रहते हैं। यह भी सच है कि लॉन्ग सिटिंग के दौरान लोग हिलते-डुलते भी नहीं हैं। पोश्चर चेंज करना तो दूर की बात है। अगर आप भी लगातार एक पोजीशन में बैठकर घंटों काम करते रहते हैं, तो अपनी इस आदत से तौबा कर लें। लॉन्ग सिटिंग ब्रेन हेल्थ के लिए नुकसानदायक होता है। शोध बताते हैं कि इससे न केवल ब्रेन सिकुड़ सकता है, बल्कि लॉन्ग टर्म में अल्जाइमर और डिमेंशिया का कारण भी बन सकता है। साथ ही, यह आदत दिल की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर और किडनी की बीमारी का कारण भी बन सकता है।
क्या कहते हैं शोध
1 संयुक्त राज्य अमेरिका के वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर और यूनिवर्सिटी ऑफ़ पिट्सबर्ग के शोधकर्ताओं ने अपनी स्टडी में पाया कि जीवनशैली की आदतें, खासकर लंबे समय तक एक पोजीशन में बैठे रहने से मस्तिष्क की बीमारी (अल्जाइमर और डिमेंशिया) होने की संभावना बढ़ जाती है.
2 अल्जाइमर एसोसिएशन के रिसर्च जर्नल में प्रकाशित स्टडी निष्कर्ष के अनुसार, शारीरिक गतिविधि और रोजाना व्यायाम करने के बावजूद यदि बहुत देर तक लगातार बैठकर काम करने की आदत है, तो यह याददाश्त में कमी, मस्तिष्क में सिकुड़न और अल्जाइमर रोग का जोखिम बढ़ा सकता है.
3 अमेरिका के बायोमेडिकल और लाइफ साइंस जर्नल पबमेड सेंट्रल में प्रकाशित शोध के अनुसार, लगातार बैठ कर काम करने से मस्तिष्कवाहिकीय रक्त प्रवाह (सेरेब्रोवस्कुलर ब्लड फ्लो) और इसके कार्य में कमी आ जाती है। इसके अलावा, संज्ञानात्मक (कोगनिटिव) कार्य में कमी और न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों का जोखिम बढ़ जाता है।
लॉन्ग सिटिंग का मस्तिष्क पर पड़ता है बहुत बुरा असर
न्यूरोकेयर इंडिया के डाइरेक्टर और सीनियर न्यूरोसर्जन डॉ. पीके झा बताते हैं, ‘अगर समय रहते इस आदत पर ध्यान न दिया जाए, तो यह लंबे समय में गंभीर मस्तिष्क समस्याओं को जन्म दे सकती है।
1 कम हो जाता है मस्तिष्क में ब्लड सर्कुलेशन
जब हम लंबे समय तक बैठे रहते हैं, तो शरीर की मांसपेशियां कम सक्रिय होती हैं। इससे हृदय की गति धीमी हो जाती है और मस्तिष्क तक रक्त और ऑक्सीजन कम पहुंच पाता है। इससे मस्तिष्क की कार्यक्षमता भी घटती है।
2 याददाश्त में कमी
लगातार बैठे रहने से दिमाग की कोशिकाओं को जरूरी पोषण नहीं मिल पाता है, जिससे याददाश्त कमजोर हो सकती है। शोध में पाया गया है कि 10 घंटे से अधिक समय तक लगातार बैठे रहने से मीडियल टेम्पोरल लोब (एमटीएल) का घनत्व और गतिविधि कम हो सकती है। यह स्मृति और ध्यान के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
3 तनाव और घबराहट
शारीरिक गतिविधि की कमी से मस्तिष्क में तनाव को नियंत्रित करने वाले हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है। इससे घबराहट, तनाव और अवसाद का खतरा बढ़ सकता है। हार्वर्ड हेल्थ पब्लिकेशन के अध्ययन में पाया गया है कि अधिक समय तक एक ही पोश्चर में बैठे रहने से खराब मूड, तनाव और नींद में कमी भी हो सकती है।
4 निर्णय लेने की क्षमता कम होती है
लगातार बैठे रहने से मानसिक सतर्कता घटती है, जिससे निर्णय लेने और समस्याओं को सुलझाने की क्षमता प्रभावित होती है। अध्ययन बताते हैं कि एक घंटे से ज़्यादा समय तक बैठे रहने से स्मृति, सतर्कता और निर्णय लेने की क्षमता जैसे संज्ञानात्मक कार्यों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। कुछ शोध संकेत देते हैं कि बिना हिले- डुले लगातार बैठे रहने की छोटी अवधि भी मस्तिष्क में रक्त प्रवाह को कम कर सकती है और उसके कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकती है। ये दोनों कार्य कोग्निटिव परफोर्मेंस (संज्ञानात्मक प्रदर्शन) से जुड़े होते हैं।
5 बढ़ जाता है डिमेंशिया और अल्ज़ाइमर का जोखिम
रिसर्च में पाया गया है कि बहुत ज्यादा बैठे रहने से उम्र बढ़ने पर डिमेंशिया और अल्ज़ाइमर जैसी मस्तिष्क की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
कुछ सरल उपाय ब्रेन हेल्थ को कर सकते हैं मजबूत
1 नियमित ब्रेक लें
डॉ. पीके झा बताते हैं, ‘अगर आप लॉन्ग सिटिंग वर्क करते हैं, तो हर 30-40 मिनट में ब्रेक लें। कुर्सी से उठकर कुछ कदम चलें या हल्की स्ट्रेचिंग करें। इससे मस्तिष्क में रक्त संचार बना रहता है।
२ रोजाना व्यायाम करें
तेज़ चलना, योग या साइकलिंग जैसे हल्के व्यायाम मस्तिष्क को सक्रिय रखते हैं।
3 ध्यान और प्राणायाम करें
दिन में दो बार 5-5 मिनट के लिए भी ध्यान और प्राणायाम अवश्य करें। ध्यान लगाने और गहरी सांस लेने की आदत मस्तिष्क को शांत और तनावमुक्त रखती है।
4 अच्छी नींद लें
मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए बिना रुकावट वाली 7-8 घंटे की नींद बेहद जरूरी है। पर्याप्त नींद मस्तिष्क की कोशिकाओं की मरम्मत में मदद करती है और उसकी कार्यक्षमता को बनाए रखती है।
5 सही पोश्चर में बैठें
कुर्सी पर बैठते समय पीठ सीधी रखें और स्क्रीन की ऊंचाई आंखों के समकक्ष रखें। इससे मानसिक थकावट कम होती है।
लॉन्ग सिटिंग शारीरिक अंगों पर डालता है बुरा प्रभाव
दिल्ली के सीके बिरला अस्पताल में प्रमुख कंसल्टेंट (इंटरनल मेडिसिन) डॉ. नरेंद्र सिंगला बताते हैं, ‘शुरुआत में बैठकर काम करना आरामदायक लगता है, लेकिन जब रोज़ 8–10 घंटे लगातार बैठकर काम करना पड़ता है, तो यह धीरे-धीरे शरीर के अंगों को प्रभावित करने लगता है।’
1. हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा
जब हम लंबे समय तक बैठे रहते हैं, तो ब्लड सर्कुलेशन धीमा हो जाता है। इससे दिल तक खून और ऑक्सीजन ठीक से नहीं पहुंच पाता है। इसके कारण हार्ट को ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है और धीरे-धीरे हार्ट डिजीज़ का खतरा बढ़ने लगता है। एशियन जर्नल ऑफ़ कार्डियोलोजी में प्रकशित रिसर्च के अनुसार, लंबे समय तक बैठे रहने वाले लोगों में हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा ज़्यादा होता है।
2. हाई ब्लड प्रेशर का जोखिम
लंबे समय तक एक ही पोजीशन में बैठे रहने से ब्लड वेसेल्स (नसें) कंप्रेस हो जाती हैं। इससे ब्लड फ्लो रुक-रुक कर होता है और ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। खासकर अगर आप तनाव में हों या कैफीन ज़्यादा लेते हों, तो यह और भी गंभीर हो सकता है।
3. पाचन तंत्र पर असर
बैठे-बैठे खाते रहने और खाकर फौरन कुर्सी पर बैठ जाने से खाना ठीक से नहीं पच पाता है। इससे गैस, एसिडिटी, कब्ज और पेट फूलने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। शरीर का मेटाबॉलिज़्म भी स्लो हो जाता है। इससे मोटापा बढ़ता है और डायबिटीज होने का खतरा भी बनने लगता है।
4. हड्डियां हो जाती हैं कमजोर
लंबी सिटिंग से रीढ़ की हड्डी, गर्दन, कंधे और पीठ पर ज़ोर पड़ता है। शरीर का पॉश्चर अगर ठीक नहीं है, तो धीरे-धीरे कमर दर्द, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, और घुटनों में अकड़न जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके कारण हड्डियां कमज़ोर होने लगती हैं, मांशपेशियों में असंतुलन और बोन डेंसिटी भी कम हो सकती है।
5 क्रोनिक किडनी रोग का जोखिम
लंबे समय तक बैठे रहने से किडनी के काम पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है । इसके कारण क्रोनिक किडनी रोग का जोखिम बढ़ सकता है। यह मुख्य रूप से रक्त संचार में कमी के कारण होता है। इसके कारण किडनी में रक्त प्रवाह और ऑक्सीजन की आपूर्ति सीमित हो सकती है। इसके अलावा, लंबे समय तक बैठे रहने से शरीर में वसा और मोटापा बढ़ सकता है। ये दोनों हाई ब्लड प्रेशर और मधुमेह का जोखिम बढ़ा देते हैं। ये दोनों क्रोनिक किडनी रोग के कारण बनते हैं।
6 कम हो सकती है फेफड़ों की क्षमता
लंबे समय तक बैठे रहने से फेफड़ों की कार्यक्षमता पर भी प्रभाव पड़ सकता है। फेफड़ों और सांस लेने की क्षमता कम हो सकती है। इससे सांस लेने में दिक्कत, ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी और सांस फूलने की भी समस्या हो सकती है। इसलिए लंबे समय तक बैठे रहने के दौरान ब्रेक लेने की सलाह दी जाती है।
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अपनाएं कुछ अच्छी आदतें
अगर आपकी जॉब ऐसी है जिसमें ज़्यादा देर बैठना पड़ता है, तो कुछ अच्छी आदतें अपनाकर बीमारियों से खुद को बचा सकते हैं।
1. हर 30–45 मिनट में उठें और चलें
डॉ. नरेंद्र सिंगला के अनुसार, हर आधे से तीन-चौथाई घंटे में कुर्सी से उठकर थोड़ा चलना, स्ट्रेचिंग करना या सीढ़ियों पर ऊपर-नीचे जाना पूरे शरीर के लिए बहुत फ़ायदेमंद होता है। इससे पूरे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बना रहता है।
2. पोश्चर सही रखें
कभी-भी लेटकर या झुककर काम नहीं करें। हमेशा कुर्सी पर बैठकर काम करें। काम करते समय पीठ सीधी रखें, गर्दन झुकी नहीं हो। कंप्यूटर की स्क्रीन आंखों के लेवल पर हो। पैरों को ज़मीन पर अच्छे से रखें और पीठ को सपोर्ट देने के लिए कुशन का इस्तेमाल करें।
3. स्टैंडिंग डेस्क या वॉकिंग मीटिंग्स का उपयोग करें
अगर संभव हो तो स्टैंडिंग डेस्क का इस्तेमाल करें या मोबाइल कॉल्स के दौरान चलते रहें। डेस्क जॉब है, तो ऑफिस में छोटी मीटिंग्स खड़े होकर करें।
4. फिजिकल एक्टिविटी ज़रूरी है
हर दिन कम से कम 30–45 मिनट वॉकिंग, योग, साइकलिंग या कोई भी हल्की-फुल्की एक्सरसाइज़ ज़रूर करें। इससे शरीर एक्टिव रहता है और मेटाबॉलिज्म भी सही रहता है।
5. खाने-पीने पर ध्यान दें
ऑफिस या घर में काम करते हुए बार-बार स्नैकिंग करने की आदत छोड़ें। लो कैलोरी, फाइबर वाला खाना खाएं, जैसे- फल, सब्ज़ियां, सलाद, ओट्स और दालें। पानी खूब पिएं और कैफीन का सेवन सीमित करें।
6. आंखों और माइंड को भी ब्रेक दें
सिर्फ शरीर ही नहीं, दिमाग और आंखों को भी आराम चाहिए। हर 20 मिनट बाद 20 सेकंड के लिए स्क्रीन से नज़र हटाकर दूर देखें। यह "20-20-20 रूल" आंखों के लिए बढ़िया होता है।
7. तनाव कम करें
लंबे समय तक बैठने की जॉब के साथ-साथ काम का प्रेशर भी होता है। इसके लिए मेडिटेशन, गहरी सांस लेना और समय पर नींद लेना ज़रूरी है।
Comments
Post a Comment