Jyeshtha Purnima 2025: जानें महत्व, अनुष्ठान और क्यों ख़ास है ज्येष्ठ पूर्णिमा का दिन
Jyeshtha Purnima 2025: आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है ज्येष्ठ पूर्णिमा का त्योहार. इस अवसर पर पवित्र स्नान, दान और प्रार्थना का विशेष महत्व है. भक्त भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी से शांति, आनंद और समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगते हैं. इस वर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा 11 जून को मनाया जा रहा है.
हिंदू कैलेंडर में ज्येष्ठ माह (ग्रेगोरियन कैलेंडर में मई-जून) विशेष रूप से पवित्र समय माना जाता है, खासकर भारत के उत्तरी क्षेत्रों में. इस महीने में भगवान विष्णु और हनुमानजी की पूजा-अर्चना की जाती है और दिव्य आशीर्वाद मांगा जाता है. ज्येष्ठ माह शुभ मंगलवार के लिए भी जाना जाता है, जिसे बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल के रूप में जाना जाता है. यह दिन भगवान हनुमान को समर्पित है. पूर्णिमा के अवसर पर चंद्रमा पूरी तरह से प्रकाशित होता है और अपने सबसे चमकीले रूप में होता है. इस वर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा (Jyeshtha Purnima) बुधवार, 11 जून 2025 को मनाया जा रहा है.
ज्येष्ठ पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्व (Jyeshtha Purnima Spiritual Significance)
धार्मिक रूप से ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन व्रत रखना लाभकारी माना जाता है. धर्मशास्त्र के अनुसार, इस दिन जरूरतमंदों को दान देना चाहिए. माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन से सारे कष्ट दूर होते हैं. जीवन में स्थायी सुख और समृद्धि आती है. है। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन ही वट सावित्री व्रत या वट पूर्णिमा मनाई जाती है. इस दिन कबीर जयंती और देव स्नान पूर्णिमा भी मनाई जाती है.
ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि और समय (Jyeshtha Purnima Date & Time)
द्रिक पंचांग के अनुसार, उदया तिथि महत्वपूर्ण होने के कारण ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 मंगलवार, 11 जून 2025 को है.
पूर्णिमा पर चंद्रोदय - शाम 07:41 बजे
पूर्णिमा तिथि आरंभ - 10 जून 2025 को सुबह 11:35 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - 11 जून 2025 को दोपहर 01:13 बजे
धार्मिक अनुष्ठान (Jyeshtha Purnima Rituals)
वट वृक्ष को पवित्र माना जाता है. इसकी पूजा विशेष रूप से विवाहित स्त्रियां करती हैं. अखंड सौभाग्य और पति की लंबी आयु के लिए वे वत वृक्ष के चारों ओर पवित्र धागा बांधती हैं. फल और प्रार्थना अर्पित करती हैं. भक्तगण गंगा या अन्य पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हैं. इससे शरीर और आत्मा शुद्ध होती है. भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा फूल, मिठाई और प्रार्थना के साथ की जाती है. कुछ लोग ज्येष्ठ पूर्णिमा पर व्रत रखते हैं, शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद इसे तोड़ते हैं।
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर सत्यनारायण कथा (Jyeshtha Purnima Katha)
इस अवसर पर सत्यनारायण की कथा पढ़ी जाती है. प्रसाद तैयार किया जाता है और देवताओं पर चढ़ाया जाता है. इसे परिवार और अन्य लोगों के बीच बांटा जाता है. जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और पैसे देना शुभ माना जाता है.
ईश्वर की प्रार्थना और उनका आशीर्वाद लेने के लिए भक्तगण मंदिर भी जाते हैं.
पूर्णिमा का महत्व (Poornima Importance)
पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पूरी तरह से प्रकाशित होता है. इस दिन यह अपने सबसे चमकीले रूप में होता है. पूर्णिमा चंद्र पखवाड़े के शुक्ल पक्ष की 15वीं तिथि को आती है. पूर्णिमा तिथि का अंत चंद्रमा के कृष्ण पक्ष के घटते चरण के 15 दिनों की शुरुआत और हिंदू चंद्र कैलेंडर की पूर्णिमांत प्रणाली में नए महीने प्रदीपदा तिथि के साथ की शुरुआत का प्रतीक है. पूर्णिमा तिथि का बहुत महत्व है और इसे बहुत शुभ माना जाता है. इस दिन विशेष पूजा, उपवास और अन्य धार्मिक और आध्यात्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं. पूर्णिमा व्रत, उमा महेश्वर व्रत, सत्यनारायण पूजा, गुरु पूर्णिमा, वट पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा, होली महोत्सव, हनुमान जयंती, दत्तात्रेय जयंती, रक्षा बंधन, बुद्ध पूर्णिमा आदि चंद्र महीनों की पूर्णिमा से जुड़े विशिष्ट दिन हैं.
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