Nirjala Ekadashi 2025: क्या है निर्जला एकादशी व्रत की महत्ता और व्रत कथा
निर्जला एकादशी की कथा के अनुसार, महर्षि वेदव्यास इस व्रत को संसार में सर्वश्रेष्ठ मानते हैं. इसलिए इस व्रत को विधिपूर्वक करना चाहिए. इस दिन 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए. यदि कोई व्यक्ति सूर्योदय से सूर्यास्त तक जल का सेवन न करे तो उसे बारह एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है.
द्रिक पंचांग में उल्लेख की गई कथा के अनुसार, महर्षि व्यास ने निर्जला एकादशी के बारे बताया है कि ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की वृषभ संक्रांति और मिथुन संक्रांति के बीच में जो एकादशी आती है, उसे निर्जला व्रत अर्थात् बिना जल के उपवास करना चाहिए. निर्जला एकादशी व्रत में स्नान करते समय या आचमन करते समय यदि जल मुख में चला जाए तो दोष नहीं माना जाता है, लेकिन आचमन में छः माशा (थोड़ी मात्रा) से अधिक जल नहीं पीना चाहिए. जल की यह थोड़ी मात्रा शरीर को शुद्ध करती है. मान्यता है कि निर्जला एकादशी के दिन अन्न नहीं खाना चाहिए. इससे व्रत नष्ट हो जाता है. जानते हैं
निर्जला एकादशी की कथा और महत्ता...
निर्जला एकादशी तिथि और समय (Nirjala Ekadashi 2025 Date and Time)
निर्जला एकादशी तिथि प्रारंभ - 06 जून 2025 को प्रातः 02:15 बजे से
एकादशी तिथि समाप्त - 07 जून 2025 को प्रातः 04:47 बजे
निर्जला एकादशी पारण का समय - 7 जून 2025 को दोपहर 01:44 बजे से शाम 04:31 बजे तक
वैष्णव निर्जला एकादशी -7 जून 2025 शनिवार
वैष्णव एकादशी पारण समय - 8 जून 2025 को सुबह 05:23 बजे से सुबह 07:17 बजे तक
निर्जला एकादशी व्रत कथा (Nirjala Ekadashi Vrat Katha)
द्रिक पंचांग में बताई गई कथा के अनुसार, एक बार भीमसेन ने महर्षि व्यास से पूछा - "हे पितामह! मेरे भाई युधिष्ठिर, माता कुंती, द्रौपदी, अर्जुन, नकुल और सहदेव एकादशी का व्रत करते हैं. उन्होंने मुझसे भी एकादशी के दिन भोजन न करने का आग्रह किया है. मैंने उनसे कहा कि मैं भक्तिपूर्वक भगवान की पूजा कर सकता हूं और दान दे सकता हूं, लेकिन मैं भूखा नहीं रह सकता. "
यह सुनकर महर्षि व्यास बोले, "हे भीमसेन! वे ठीक कहते हैं. शास्त्रों में कहा गया है कि एकादशी के दिन भोजन नहीं करना चाहिए. यदि आप नरक को सबसे बुरा और स्वर्ग को सबसे अच्छा मानते हैं, तो प्रत्येक माह की दोनों एकादशियों को भोजन न करें." महर्षि व्यास के वचन सुनकर भीमसेन बोले, "हे पितामह! मैं आपसे पहले ही कह चुका हूं कि मैं एक बार भी भोजन के बिना नहीं रह सकता, पूरा दिन तो क्या, मेरे पेट में अग्नि है, जो अधिक भोजन करने से ही शांत होती है. यदि मैं प्रयत्न करूं तो वर्ष में एक एकादशी का व्रत कर सकता हूं, अतः कृपया कोई ऐसा व्रत बताइए, जिससे मुझे स्वर्ग की प्राप्ति हो.
मोक्ष की प्राप्ति (Attainment of Salvation)
भीमसेन की विनती सुनकर व्यास जी बोले, "हे पुत्र! बड़े-बड़े ऋषियों और मुनियों ने अनेक शास्त्रों की रचना की है. यदि कलियुग में मनुष्य उनका पालन करें, तो उन्हें अवश्य ही मोक्ष की प्राप्ति होगी. इनमें बहुत कम व्यय होता है. इन पुराणों का सार यह है कि स्वर्ग की प्राप्ति के लिए प्रत्येक मास की दोनों एकादशियों का व्रत करना चाहिए." यदि कोई व्यक्ति सूर्योदय से सूर्यास्त तक जल का सेवन न करे तो उसे बारह एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है.
एकादशी की महत्ता (Spiritual Significance of Nirjala Ekadashi)
द्वादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर भूखे ब्राह्मणों को भोजन कराकर भोजन करना चाहिए. हे भीमसेन! स्वयं भगवान ने मुझसे कहा है कि इस एकादशी का पुण्य समस्त तीर्थों और दानों के बराबर है. एक दिन निर्जल व्रत करने से मनुष्य पापों से मुक्त हो जाता है. जो मनुष्य निर्जला एकादशी का व्रत करते हैं, उन्हें मृत्यु के समय भयंकर यमदूत नहीं दिखाई देते, बल्कि भगवान हरि के दूत स्वर्ग से पुष्पक विमान में बैठकर उन्हें स्वर्ग ले जाने के लिए आते हैं. निर्जला एकादशी का व्रत संसार में सर्वश्रेष्ठ है. इसलिए इस व्रत को विधिपूर्वक करना चाहिए. इस दिन 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करना चाहिए। इस दिन गाय का दान भी करना चाहिए.
भीमसेनी या पांडव एकादशी (Bhimaseni or Pandava Ekadashi 2025)
इस एकादशी को भीमसेनी या पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. निर्जला व्रत करने से पहले भगवान की पूजा करनी चाहिए और प्रार्थना करनी चाहिए कि हे प्रभु! आज मैं निर्जला व्रत रखता हूं और अगले दिन भोजन करूंगा. मैं इस व्रत को भक्तिपूर्वक करूंगा. मेरे सभी पाप नष्ट हो जाएं. इस दिन जल से भरा घड़ा, कपड़े से ढका हुआ और सोने के साथ किसी योग्य व्यक्ति को दान करना चाहिए. जो लोग इस व्रत में स्नान और तप करते हैं, उन्हें करोड़ों स्वर्ण मुद्राएं दान करने का पुण्य प्राप्त होता है. मान्यता है कि इस दिन यज्ञ और होम करने से बहुत पुण्य मिलता है.
व्रत और दान करने का पुण्य ( Nirjala Ekadashi Benefits)
निर्जला एकादशी व्रत करने का पुण्य भगवान विष्णु के धाम जाने के बराबर प्राप्त होता है. निर्जला एकादशी व्रत कथा के अनुसार, जो पुरुष और स्त्री भक्तिपूर्वक इस व्रत को करते हैं, उन्हें पहले भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और फिर गौ दान करना चाहिए. इस दिन ब्राह्मणों को दान देना चाहिए. निर्जला एकादशी के दिन भोजन, वस्त्र, छाता आदि का दान करना चाहिए. जो लोग प्रेमपूर्वक इस कथा को सुनते और पढ़ते हैं, वे भी स्वर्ग के अधिकारी होते हैं.
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