Padmanabhaswamy Temple: दुनिया का नंबर एक मंदिर, जहां नारियल के खोल में मिलता है प्रसाद

Padmanabhaswamy Temple: दुनिया का नंबर एक मंदिर कहलाता है केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम स्थित भगवान विष्णु को समर्पित पद्मनाभस्वामी मंदिर. यह मंदिर अपनी अमीरी को लेकर हमेशा चर्चा में रहता है. जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ प्रमुख बातें. भगवान विष्णु को समर्पित है असाधारण और अलौकिक मंदिर पद्मनाभस्वामी मंदिर. यह दक्षिण-पश्चिमी राज्य केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम स्थित है. मंदिर का सबसे पहला उल्लेख 8वीं या 9वीं शताब्दी ई. से मिलता है. संभवतः मंदिर इससे भी पुराना है. मंदिर का निर्माण और पुनर्निर्माण कई सदी तक किया जाता रहा. अंतिम निर्माण त्रावणकोर के राजा मार्तंड वर्मा ने 1750 में किया और देवता को दान कर दिया था. 2011 में यह मंदिर दुनिया भर में चर्चित हो गया. दरअसल, इसके (Padmanabhaswamy Temple) तहखानों की खोज में 22 बिलियन डॉलर (18 खरब से भी अधिक रुपये) मूल्य के रत्न, कीमती धातुयें और अन्य खज़ाने मिले थे. क्या हैं श्रीविष्णु के पद्मनाभस्वामी स्वरुप के अर्थ (Meaning of Padmanabhaswamy) पद्मनाभस्वामी मंदिर विष्णु के उस रूप में समर्पित है, जिसमें भगवान शेषनाग पर विश्राम कर रहे हैं. शेषनाग कई सिर वाला ब्रह्मांडीय नाग है. श्रीविष्णु की नाभि से कमल निकलता है, जिसपर ब्रह्मा निवास करते हैं. मंदिर और शहर के नाम इसी मिथक से लिए गए हैं. "पद्मनाभस्वामी" के रूप में विष्णु स्वामी हैं, जिनकी नाभि (नाभ) में कमल (पद्म) है. तिरुवनंतपुरम शहर भगवान (थिरु) अनंत (अंत) का निवास (पुरम) है, जो भगवान विष्णु का एक नाम है. अनंत नाग पर लेटे हुए भगवान विष्णु के रूप को अनंतशयन कहा जाता है. 12,008 शालिग्रामों से निर्मित है पवित्र मूर्ति यह मंदिर भारत भर के 108 दिव्य देशमों या सबसे पवित्र विष्णु मंदिरों में से एक माना जाता है. इस मंदिर की प्रमुख मूर्ति में विष्णु को पांच सिर वाले शेष पर आराम करते हुए दिखाया गया है. वह अपनी पत्नियों श्री (धन की देवी लक्ष्मी का एक विशेषण) और पृथ्वी देवी भूदेवी से घिरे हुए हैं. वे एक हाथ में भगवान शिव का प्रतिनिधित्व करने वाले लिंगम को पकड़े हुए हैं. मान्यता है कि विष्णु की मूर्ति 12,008 शालिग्रामों से निर्मित है. इन शालिग्रमोम को नेपाल की गंडक नदी से लाया गया था. धार्मिक महत्व और अनुष्ठान (Padmanabhaswamy Temple Rituals) देवता तीन दरवाजों के माध्यम से भक्तों को दिखाई देते हैं. चावल या नारियल के खोल में कच्चा आम या नारियल प्रसाद के रूप में भक्तों को दिया जाता है. यहां बड़े पैमाने पर विशु और ओणम त्योहार मनाये जाते हैं. एक अन्य महत्वपूर्ण त्योहार लक्षदीपम है, जो हर छह साल में होता है. मकर संक्रांति के अवसर पर 100,000 तेल के दीपक जलाए जाते हैं. क्या है मंदिर के निर्माण की कथा (Padmanabhaswamy Temple Mythology) कथाओं के अनुसार मंदिर एक हजार साल से अधिक पुराना हो सकता है. मंदिर की स्थापना के बारे में कई कथाएं हैं. अनंतशयनक्षेत्र महात्म्य ग्रंथ के अनुसार, दिवाकर मुनि एक तुलु ब्राह्मण साधु थे, जो विष्णु के प्रति समर्पित थे. एक दिन जब ऋषि ध्यान कर रहे थे, तो एक बालक शैतानी कर रहा था. इसमें ऋषि द्वारा पूजा के लिए इस्तेमाल किए जा रहे शालिग्राम को अपने मुंह में डालना भी शामिल था. इस पर ऋषि ने बालक को डांटा. बालक गायब हो गया, लेकिन ऋषि से कहा कि वह अनंथनकाडु (अब पद्मनाभस्वामी मंदिर के पास एक मंदिर का स्थल) में पाया जा सकता है. स्थान पर पहुंचने पर ऋषि को विशाल रूप में भगवान विष्णु के दर्शन हुए. फिर उन्होंने भगवान को नारियल के खोल में आम अर्पित किया और वहां एक मंदिर बनवाया. एक अन्य किंवदंती के अनुसार, नंबूदिरी ऋषि विल्वमंगलम स्वामी के बारे में बताते हैं कि उन्होंने उस स्थान पर सर्प पर विराजमान भगवान विष्णु के दर्शन किए थे. 8वीं या 9वीं शताब्दी में तमिल कवि नम्मालवार ने इस मंदिर में शेष नाग पर लेटे हुए भगवान विष्णु की स्तुति में भजन लिखे थे.

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