WHO Global Warning : भारत के लिए भी जानलेवा हो सकता है मांस खाने वाला ‘ग्रीन फंगस’
WHO Global Warning : वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने हाल में चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन के कारण मांस खाने और ‘ग्रीन फंगस’ कहे जाने वाले एस्परगिलस का संक्रमण बढ़ रहा है. इस फफूंद का प्रसार तेजी से हो सकता है. इससे वर्ष 2100 तक लाखों लोगों को जानलेवा फंगल रोग का खतरा हो सकता है. भारत में क्या है स्थिति?
ब्रिटेन की मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने हाल में एक अध्ययन किया है. इससे पता चलता है कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन के कारण फंगल संक्रमण बहुत अधिक बढ़ सकते हैं. इससे वर्ष 2100 तक लाखों लोगों को जानलेवा फंगल रोग का खतरा हो सकता है. इस खतरे पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है. शोध से पता चला है कि बढ़ते तापमान के कारण कई प्रकार की खतरनाक फंगल प्रजातियों के लिए अधिक अनुकूल वातावरण और प्रजनन स्थल विकसित होते हैं. इसके परिणामस्वरूप वे उन क्षेत्रों में भी फैल रहे हैं, जहां ये पहले विकसित नहीं हो सकते थे. यह निष्कर्ष जलवायु परिवर्तन के कारण मानव स्वास्थ्य को होने वाले खतरों को उजागर करने के लिए सामने आया है.
क्या है किलर एस्परगिलस फ्यूमिगेटस (Aspergillus Fumigatus)
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, एस्परगिलस फ्यूमिगेटस फंगस आमतौर पर मिट्टी में पाया जाता है. यह श्वसन अंगों में जानलेवा संक्रमण पैदा करने में सक्षम है। ये फंगस या कवक गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनते हैं, खासकर उन लोगों में जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है। अध्ययन के निष्कर्षों से यह भी पता चलता है कि यदि वर्तमान ग्लोबल वार्मिंग प्रवृत्ति समान बनी रहती है, तो वर्ष 2100 तक फ्यूमिगेटस का विस्तार हो सकता है. इसके परिणामस्वरूप यूरोप में इसकी भौगोलिक सीमा का विस्तार 77% तक हो सकता है, जिससे संभावित रूप से अतिरिक्त नौ मिलियन लोग संक्रमण के जोखिम में आ सकते हैं.
एस्परगिलस फ्लेवस (Aspergillus flavus)
एस्परगिलस फ्लेवस फसलों को दूषित करने वाले एफ़्लैटॉक्सिन विषाक्त यौगिकों का उत्पादन करने के लिए भी जाना जाता है. इसके भी व्यापक प्रसार की संभावना है. अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि यूरोप भर में इसके भौगोलिक क्षेत्र में इसका विस्तार 1G% है, जो अनुमान के अनुसार दस लाख से अधिक लोगों को प्रभावित करेगा. यह अध्ययन न केवल मानव स्वास्थ्य के लिए चिंता बढ़ा रहा है, बल्कि कृषि उत्पादकता और खाद्य सुरक्षा के लिए भी खतरे को बढ़ाता है. एफ़्लैटॉक्सिन हानिकारक हैं और फसलों को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं. इससे खाद्य आपूर्ति को खतरा पैदा होता है.
भारत में क्या है स्थिति (Status of Green Fungus in India)
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, भारत में भी 'ग्रीन फंगस' के कुछ मामले सामने आए हैं. यह दुनिया के कई देशों में महामारी का रूप ले चुका है. ग्रीन फंगस कहे जाने वाले आक्रामक एस्परगिलोसिस के भारत में वार्षिक अनुमानित मामले 250,900 हैं. जिनमें क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज वाले 239,00 लोग हैं. फेफड़े के कैंसर वाले लोगों में 1,885 मामले, ल्यूकेमिया, लिम्फोमा या प्रत्यारोपण वाले लोगों में 7,040 मामले शामिल हैं.
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