त्रेता युग 2025 : अक्षय तृतीया से जुड़ा है त्रेता युग

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार सतयुग के बाद त्रेता युग की शुरुआत हुई. मान्यता है कि यह दिन अक्षय तृतीया का था. इसी दिन परशुराम जयंती भी है. हिंदू ब्रह्मांड विज्ञान में दूसरे युग को त्रेता युग कहा जाता है. त्रेता युग से पहले सतयुग आता है. हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, चारों युगों का क्रम कुछ इस प्रकार से है- सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग. अभी कलियुग चल रहा है. माना जाता है कि सतयुग में न्याय और सत्य अपने चरम पर था. त्रेता युग की अपनी महत्ता है. इसे अक्षय तृतीया से भी जोड़कर देखा जाता है. त्रेता युग में श्री विष्णु के अवतार त्रेता युग में भगवान विष्णु को उनके वामन, परशुराम और सबसे खास तौर पर भगवान राम के अवतार के लिए याद किया जाता है. त्रेता युग में विष्णु के श्रीराम अवतार की विशेष रूप से पूजा होती है. त्रेता युग को त्रिदेवों के युग के रूप में जाना जाता है. इस अवधि के दौरान भगवान विष्णु को विष्णु, यज्ञ और उरुक्रम जैसे नामों से महिमामंडित किया जाता है. त्रेता युग को अक्षय तृतीया से भी जोड़कर देखा जाता है. अक्षय शब्द का अर्थ है "शाश्वत" या "कभी न घटने वाला", जबकि तृतीया का अर्थ है "तीसरा" दिन. अपने नाम के अनुरूप, ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया कोई भी अच्छा काम, निवेश या शुरुआत स्थायी सफलता और समृद्धि लाती है. अक्षय तृतीया से जुड़ी सबसे अधिक लोकप्रिय परंपराओं में से एक है सोना खरीदना. इसे धन और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है. पिछले कुछ वर्षों में यह परंपरा भारतीय घरों में गहराई से जड़ें जमा चुकी है. परिवार इसे महत्वपूर्ण वित्तीय खरीदारी करने या नए उद्यम शुरू करने के लिए एक आदर्श दिन मानते हैं. अक्षय तृतीया 2025: तिथि और समय तृतीया तिथि शुरू - 29 अप्रैल, 2025 - शाम 05.31 बजे तृतीया तिथि समाप्त - 30 अप्रैल, 2025 - दोपहर 02.12 बजे अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त - 30 अप्रैल, 2025 - सुबह 05.40 बजे से दोपहर 12.18 बजे तक. लोग अपने जीवन में सौभाग्य लाने के लिए अक्षय तृतीया मनाते हैं. त्रेता युग की शुरुआत का प्रतीक अक्षय तृतीया अक्षय तृतीया पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण दिन है, जो चार युगों में से दूसरे युग त्रेता युग की शुरुआत का प्रतीक है. यह भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम का जन्मदिन भी है. माना जाता है कि इसी दिन ऋषि व्यास ने गणेश को महाभारत सुनाना शुरू किया था. परशुराम का जन्म कहा जाता है कि अपनी शक्ति और वीरता के लिए जाने जाने वाले परशुराम का जन्म इसी दिन हुआ था. माना जाता है कि महाभारत के रचयिता ऋषि व्यास ने अक्षय तृतीया के दिन भगवान गणेश को महाकाव्य सुनाना शुरू किया था. त्रेता युग का महत्व यह दिन स्वर्ग से गंगा के अवतरण और पांडवों को अक्षय पात्र (एक दिव्य कटोरा) दिए जाने से भी जुड़ा है. युगों के कालक्रम में त्रेता युग लगभग 2,163,102 ईसा पूर्व शुरू हुआ और लगभग 867,102 ईसा पूर्व समाप्त हुआ. इस अवधि की विशेषता पूर्ववर्ती सत्य युग की तुलना में धर्म में गिरावट है. कहा जाता है कि त्रेता युग 1,296,000 वर्षों तक चला था.

Comments

Popular posts from this blog

Sri Sri Ravi Shankar: गलतियों से सीखकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहें विद्यार्थी

Buddha Purnima 2025: आध्यात्मिक चिंतन का दिन है बुद्ध पूर्णिमा

Lord Hanuman: क्यों हनुमानजी चिरंजीवी देवता कहलाते हैं