विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस पर जानें सचिन तेंदुलकर की दो प्रेरणादायी किताबों के बारे में

23 अप्रैल को विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस है और 24 अप्रैल को क्रिकेट के गॉड कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर का जन्मदिन. इस ख़ास अवसर पर जानते हैं युवाओं और किशोरों के लिए प्रेरणादायी सचिन की किताबों के बारे में. 23 April--world book and copyright day 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस है. पढ़ने, पुस्तकों के महत्व और कॉपीराइट सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए यह दिन दुनिया भर में मनाया जाता है. पढ़ने के प्रति रुचि को विकसित करने और अतीत तथा भविष्य को जोड़ने में पुस्तकों की भूमिका को मान्यता देने के लिए यूनेस्को ने इस दिवस को मनाना शुरू किया था. इसके अगले दिन, यानी 24 अप्रैल को क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर का भी जन्मदिन है. यूं तो सचिन क्रिकेट के बेताज बादशाह माने जाते हैं. पर क्या आप जानते हैं कि सचिन ने 2 किताबें भी लिखी हैं, जो किसी भी टीन एजर के लिए प्रेरणादायी साबित हो सकती हैं. सचिन ने अपनी किताबों में स्पष्ट लिखा है कि चाहे आप खेल के मैदान में आगे बढ़ना चाहते हैं या पढ़ाई के क्षेत्र में, आपको सफलता पाने के लिए जी-तोड़ मेहनत करनी पड़ेगी. जानते हैं सचिन की किताबों के बारे में... सचिन तेंदुलकर मेरी आत्मकथा (प्लेइंग इट माई वे) प्लेइंग इट माई पूर्व भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर की ऑटोबायोग्राफी है. सचिन ने लेखक और मित्र बोरिया मजुमदार के साथ मिलकर वर्ष 2014 में यह किताब लिखी. इसमें तेंदुलकर के शुरुआती दिनों, उनके 24 साल के अंतरराष्ट्रीय करियर, खेल के लिए किया गया उनका संघर्ष, जीवन की कठिनाइयों और उनके जीवन के कई अनजाने रोचक, लेकिन प्रेरक प्रसंगों को भी शामिल किया गया है. इस किताब ने फिक्शन और नॉन-फिक्शन दोनों श्रेणियों में सबसे अधिक बिकने वाली किताब के रूप में लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में जगह बनाई थी. 16 साल की उम्र से पहला टेस्ट खेलने से लेकर, विश्व कप जीतने सहित सचिन ने भारत के लिए कई उपलब्धियां हासिल की. इस दौरान वे असफलता और कुंठा के दौर से भी गुजरे. इन सभी के बारे में इस किताब में विस्तार से बताया गया है, जिनसे कोई भी प्रेरणा पा सकता है. तेंदुलकर की कहानी उन्हीं की ज़ुबानी (चेज योर ड्रीम्स) चेज योर ड्रीम्स किताब भी सचिन तेंदुलकर ने लेखक बोरिया मजुमदार के साथ मिलकर लिखी. क्रिकेट के इतिहास में विश्व के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में शुमार “मास्टर ब्लास्टर के नाम से मशहूर सचिन तेंदुलकर का जन्म 24 अप्रैल 1973 को मुंबई (बंबई) में हुआ था. इस किताब में सचिन के जीवन से जुड़ा हर प्रसंग छात्रों के लिए अनुकरणीय है. तभी तो इस किताब के कवर पर टैगलाइन है-छात्रों के लिए सचिन तेंदुलकर की आत्मकथा. 14 वर्ष की उम्र में मुंबई के लिए अपना पहला प्रथम श्रेणी क्रिकेट मैच खेलने वाले सचिन ने एक खिलाड़ी के रूप में अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हर संभव प्रयास किया. अपने सपने को साकार करने के लिए उन्होंने लोगों की आलोचनाओं को अनसुना किया और असफलता से कभी वे घबराए नहीं. उन्होंने इस किताब में छात्रों से आग्रह किया है कि वे अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए जुनून की हद तक कोशिश करें, मेहनत से कभी जी नहीं चुराएं. याद रखें कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता है.

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