Jyeshtha Month Vinayak Chaturthi 2025: क्यों मनाई जाती है हर महीने विनायक चतुर्थी
Jyeshtha Month Vinayak Chaturthi 2025 : प्रत्येक चंद्र माह में दो चतुर्थी तिथियां होती हैं. मान्यता है कि चतुर्थी तिथि के दिन ही भगवान गणेश प्रकट हुए थे. कृष्ण पक्ष में पूर्णिमा के बाद की चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष में अमावस्या के बाद की चतुर्थी विनायक चतुर्थी कहलाती है. इस वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की विनायक चतुर्थी शुक्रवार, 30 मई 2025 को है.
विनायक चतुर्थी भगवान गणेश के जन्म और पौराणिक कथाओं में उनके महत्व के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए मनाई जाती है. कथा (Vinayak Chaturthi Mythology) है कि भगवान गणेश को भगवान शिव की पत्नी देवी पार्वती ने अपने शरीर की मिट्टी का उपयोग करके बनाया था. माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन भगवान पृथ्वी पर आते हैं, वे विसर्जन के बाद अपने दिव्य निवास की ओर लौट जाते हैं. गणेश चतुर्थी का उत्सव जन्म, जीवन और मृत्यु के चक्र के महत्व (Jyeshtha Month Vinayak Chaturthi 2025) को भी दर्शाता है.
ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी का महत्व (Jyeshtha Vinayak Chaturthi Significance)
विनायक चतुर्थी हिंदू कैलेंडर में हर महीने मनाई जाती है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण उत्सव भाद्रपद के महीने में होता है. इसे गणेश चतुर्थी के रूप में जाना जाता है.
ज्येष्ठ शुक्ल विनायक चतुर्थी की तिथि (Vinayak Chaturthi Date)
विनायक चतुर्थी (चंद्र माह) तिथि
ज्येष्ठ शुक्ल चतुर्थी शुक्रवार, 30 मई, 2025
क्यों मनाई जाती है हर महीने विनायक चतुर्थी (Monthly Vinayak Chaturthi)
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, प्रत्येक चंद्र माह में दो चतुर्थी तिथियां होती हैं. शिवपुराण और गणेशपुराण के अनुसार, चतुर्थी तिथि भगवान गणेश की होती है. शुक्ल पक्ष में अमावस्या के बाद की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के रूप में जाना जाता है और कृष्ण पक्ष में पूर्णिमा के बाद की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के रूप में जाना जाता है. वैसे तो विनायक चतुर्थी का व्रत हर महीने किया जाता है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण विनायक चतुर्थी भाद्रपद महीने में आती है. भाद्रपद महीने में विनायक चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. गणेश चतुर्थी को दुनिया भर के हिंदू श्रीगणेश जयंती के रूप में मनाते हैं.
विनायक चतुर्थी है वरद विनायक चतुर्थी (Varad Vinayak Chaturthi)
विनायक चतुर्थी को वरद विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. वरद का अर्थ है "भगवान से अपनी कोई भी इच्छा पूरी करने के लिए विनती करना". इस व्रत को करने वाले भक्तों को श्रीगणेश बुद्धि और धैर्य का आशीर्वाद देते हैं. बुद्धि और धैर्य दो ऐसे गुण हैं, जिनका महत्व सदियों से मानव जाति को पता है. जिस किसी के पास ये गुण होते हैं, वह जीवन में तरक्की कर सकता है और जो चाहे हासिल कर सकता है.
कब की जाती है विनायक चतुर्थी की पूजा (Vinayak Chaturthi Timing)
विनायक चतुर्थी पर गणेश पूजा दोपहर के समय की जाती है. दोपहर के समय भगवान गणेश की पूजा करने का मुहूर्त विनायक चतुर्थी तिथियों के साथ सूचीबद्ध किया जाता है.
स्थान आधारित विनायक चतुर्थी के दिन
यह जानना जरूरी है कि विनायक चतुर्थी के लिए उपवास का दिन दो शहरों के लिए अलग-अलग हो सकता है, भले ही वे शहर एक ही भारतीय राज्य के हों. विनायक चतुर्थी के लिए उपवास सूर्योदय और सूर्यास्त के समय पर निर्भर करता है. यह तब मनाया जाता है जब चतुर्थी तिथि दोपहर के समय होती है. इसलिए विनायक चतुर्थी का व्रत तृतीया तिथि यानी चतुर्थी तिथि से एक दिन पहले मनाया जा सकता है. चूंकि दोपहर का समय सूर्योदय और सूर्यास्त पर निर्भर करता है, जो सभी शहरों के लिए अलग-अलग हैं.
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