Kabir Jayanti 2025 : ज्येष्ठ पूर्णिमा को हुए समाज सुधारक औत महान कवि कबीरदास

कबीर जयंती को कबीर प्रकट दिवस के रूप में भी जाना जाता है. कबीरदास भारत के लोकप्रिय कवि थे. यह दिन संत कबीर के प्रकट होने के उपलक्ष्य में मनाय जाता है. यह हिंदू महीने ज्येष्ठ की पूर्णिमा दिन मनाया जाता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह मई या जून का महीना होता है. संत कबीर दास प्रसिद्ध कवि, संत और समाज सुधारक थे और वे 15 वीं शताब्दी में रहते थे. पारंपरिक हिंदू कैलेंडर के अनुसार, ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा के दिन उनका जन्म हुआ. यह दिन न केवल भारत में बल्कि अन्य देशों में भी सभी वर्गों के लोगों द्वारा मनाया जाता है. कबीर दास की महान कविता और रचना 'परमात्मा' की सुसंगतता और विशालता को दर्शाती है. देश भर में कबीरदास के अनुयायी पूरा दिन उनकी स्मृति में बिताते हैं. इस महान कवि की जन्मस्थली वाराणसी शहर में इस दिन को भव्य रूप से मनाया जाता है. कबीरचौरा मठ में उनके भक्तों के लिए आध्यात्मिक चर्चाओं का आयोजन किया जाता है. गुरु कबीर दास जयंती का महत्व संत कबीर दास का जन्म उत्तर प्रदेश में मुस्लिम माता-पिता के यहां हुआ था. उन्होंने कम उम्र में ही अध्यात्म में रुचि दिखाई और खुद को भगवान राम और भगवान अल्लाह का बच्चा बताया. उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान में कोई दिलचस्पी नहीं थी. महान कवि अपने समय के सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान करते थे. भक्ति आंदोलन उनके कार्यों से बहुत प्रभावित था। उनकी कुछ प्रसिद्ध रचनाओं में अनुराग सागर, कबीर ग्रंथावली, बीजक, साखी ग्रंथ आदि शामिल हैं. उन्होंने 'कबीर पंथ' नामक एक आध्यात्मिक समुदाय की स्थापना की. आज, इस समुदाय के बहुत से अनुयायी हैं. कबीर पंथ की महत्ता कबीर पंथ, जैसा कि पहले बताया गया है, कबीर दास द्वारा स्थापित आध्यात्मिक समुदाय का नाम है। इस समुदाय के अनुयायियों को कबीर पंथी कहा जाता है, जो पूरे देश में फैले हुए हैं। यह समुदाय कबीर दास की विरासत को फैलाता है। इसके अलावा, सिखों का समुदाय भगत कबीर जी के सर्वोच्च पाठों का प्रचार करेगा, जो सिखों द्वारा कबीर दास को दिया गया नाम है। सिखों के पांचवें गुरु, गुरु अर्जुन ने महान कवि की रचनाओं को एकत्र किया और उन्हें सिखों के धर्मग्रंथ में समाहित किया. संत कबीर - एक महान भारतीय कवि (Indian Poetz_ कबीर दास ने जीवन के सही अर्थ को लिखने और व्यक्त करने के लिए बहुत ही सरल भाषा का इस्तेमाल किया. दोहे लिखने के लिए हिंदी का इस्तेमाल किया, जो समझने में आसान है. उनके द्वारा लिखे गए दोहे कला का एक नमूना हैं. वे लोगों के लिए जीवन के महान नुस्खे भी होंगे. उनके समय के लोगों ने उनकी कविताओं को खुशी-खुशी स्वीकार किया. उन्होंने लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए दोहा लिखना शुरू किया। उनकी कविताओं और दोहों को स्कूल स्तर के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है.

Comments

Popular posts from this blog

Sri Sri Ravi Shankar: गलतियों से सीखकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहें विद्यार्थी

Buddha Purnima 2025: आध्यात्मिक चिंतन का दिन है बुद्ध पूर्णिमा

Lord Hanuman: क्यों हनुमानजी चिरंजीवी देवता कहलाते हैं