Kheer Bhawani Temple Mystery: माता के आशीर्वाद से बदल जाता है कुंड के पानी का रंग
Kheer Bhawani Temple Mystery: श्रीनगर से 25 किलोमीटर दूर गांदरबल जिला स्थित है खीर भवानी मंदिर. देवी दुर्गा के रूप में स्थापित देवी राग्न्या को यहां खीर का भोग लगाया जाता है. मंदिर स्थित कुंड का जल अपना रंग बदलने के कारण दूर-दूर तक लोकप्रिय है. इन दिनों यहां खीर भवानी मेला लगा हुआ है.
इन दिनों जम्मू और कश्मीर के गांदरबल जिले के तुलमुल्ला गांव में माता रानी के भक्त बड़ी संख्या में पहुंचने लगे हैं. पहलगाम अटैक की बुरी यादों को परे हटाकर लोग तुलमुल्ला गांव के खीर भवानी मंदिर पहुंच रहे हैं. यहां 3 जून से खीर भवानी उत्सव शुरू हो गया है. मंदिर की देवी देवी राग्न्या को खीर का भोग लगाया जा रहा है. मंदिर के कुंड से सदियों से जुड़ी आस्था भी दिखाई दे रही है. जानते हैं वह आस्था, जिसे लोग देवी के आशीर्वाद (Kheer Bhawani Temple Mystery) से जोड़कर देखते हैं.
खीर भवानी मंदिर मेला (Kheer Bhawani Temple Mela)
जम्मू और कश्मीर के गांदरबल जिले में खीर भवानी महोत्सव कश्मीरी पंडित समुदाय के लिए प्रतिष्ठित धार्मिक आयोजन है, जो हर साल तुलमुल्ला गांव के पवित्र रागन्या देवी मंदिर में आयोजित किया जाता है. खीर भवानी मेला हजारों कश्मीरी पंडित, स्थानीय लोग और राज्य के बाहर से आये भक्तगणों के लिए भक्ति, परंपरा और सांप्रदायिक सद्भाव का जश्न है. इस साल के मेले में भारत भर से भक्तों की भारी भीड़ देखी जा रही है.
खीर भवानी मंदिर की कथा (Kheer Bhawani Temple Mythology)
मंदिर का अनूठा नाम प्रसिद्ध भारतीय मिठाई खीर के कारण है. देवी को खीर का भोग लगाया जाता है. झरना छह कोणीय है और मंदिर संगमरमर से बना है. यहीं देवी की मूर्ति स्थापित है. कथा है कि भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान देवी की पूजा की थी. वनवास समाप्त होने के बाद उन्होंने उनका निवास स्थान शादीपोरा में स्थानांतरित कर दिया, जहां से रागन्या देवी की इच्छा के अनुसार इसे यहां स्थानांतरित कर दिया गया.
झरने का बदलता है रंग (the color of the waterfall changes)
चिनार के पेड़ों और नदियों के बीच स्थित खीर भवानी मंदिर देवी रागान्या का निवास है. मंदिर एक पवित्र झरने के ऊपर बना है. झरने का पानी मंदिर के अंदर कुंड के रूप में बहता है. पूर्णिमा के आठवें दिन भक्त खीर भवानी मंदिर में इकट्ठा होते हैं और उपवास रखते हैं. ऐसा माना जाता है कि देवी रागन्या इस शुभ दिन पर झरने का रंग बदलती हैं. झरने में गुलाबी, लाल, नीला, हरा, सफेद आदि विभिन्न रंग हैं. रंग बदलने के पीछे का कारण अभी भी पता लगाया जाना बाकी है. यदि रंग काला हो जाता है, तो इसे बुरा शगुन माना जाता है. इसके कारण घाटी में आपदा आती है. इस वर्ष झरने का रंग हरा है. मान्यता यह है कि जो लोग सच्चे मन से देवी की पूजा करते हैं, उनकी इच्छायें पूरी होती हैं. मंदिर में वार्षिक उत्सव मनाया जाता और नवरात्र के अवसर पर मेलों और यज्ञों का आयोजन होता है. मंदिर में शुक्ल पक्ष अष्टमी पर हवन भी किया जाता है.
खीर भवानी मंदिर का इतिहास (Kheer Bhawani Temple History)
खीर भवानी या क्षीर भवानी या रागन्या देवी मंदिर श्रीनगर से 25 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में गांदरबल के तुलमुल्ला गांव स्थित है. महाराजा प्रताप सिंह ने 1912 में इस मंदिर का निर्माण कराया था, जिसे बाद में महाराजा हरि सिंह ने पुनर्निर्मित किया था. प्राकृतिक झरने के बीच स्थित खीर भवानी मंदिर में भक्त देवी को दूध और खीर चढ़ाते हैं. पर्यटकों के बीच लोकप्रिय यह मंदिर घाटी में कश्मीरी पंडितों द्वारा विशेष रूप से पूजनीय है. मंदिर की वास्तुकला सरल है, फिर भी चिकने भूरे पत्थरों का उपयोग करके यह खूबसूरती से बनाया गया है.
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