Lord Ganesha: क्यों गणेशजी विनायक कहलाते हैं!

Lord Ganesha: मुद्गल पुराण के अनुसार, भगवान गणेश के 8 अवतार हैं, इसलिए उन्हें अष्ट विनायक के नाम से जाना जाता है. यहां विनायक का अर्थ होता है नेतृत्वकर्ता, यानी उनके ऊपर कोई स्वामी नहीं है. गणेशजी सभी प्राणियों का नेतृत्व करते हैं. इसलिए वे विनायक कहलाए. भगवान गणेश हिंदू धर्म में सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक (Popular God Lord Ganesha) हैं. गणेशजी को गणपति और विनायक के नाम से भी जाना जाता है. गणेशजी भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र और भगवान कार्तिकेय के भाई हैं. श्रीगणेश को विनायक कहा जाता है, जिसका अर्थ है "नेतृत्व करने वाला" या "सभी का नेता", क्योंकि उन्हें सर्वोच्च देवता माना जाता है. उनके ऊपर कोई स्वामी नहीं है. वे सभी प्राणियों का नेतृत्व करते हैं. यह उपाधि बाधाओं को दूर करने वाले और कला और विज्ञान के संरक्षक (Lord Ganesha) के रूप में उनकी भूमिका पर जोर देती है. बाधाओं को दूर करते हैं विनायक (Vinayaka Ganesh ji) गणेशजी की सत्ता सर्वोच्च है. यह किसी भी उच्च शक्ति के अधीन नहीं है. विनायक बाधाओं को दूर करने वाले के रूप में जाते हैं. गणेश को विघ्नेश्वर के रूप में भी जाना जाता है. इसका अर्थ है बाधाओं को दूर करने वाला. अगुआ के रूप में गणेश जी सभी बाधाओं को दूर कर अपने सभी भक्तों का मार्गदर्शन करते हैं. गणेशजी को कला और विज्ञान के संरक्षक के रूप में जाना जाता है. ज्ञान और रचनात्मकता को भी वे बढ़ाते हैं. गणेशजी का परिवार ((Shree Ganesh ji Family) भगवान गणेश तीन गुणों अर्थात् बुद्धि, सिद्धि और ऋद्धि के अवतार हैं, जिन्हें क्रमशः ज्ञान, आध्यात्मिकता और समृद्धि के रूप में जाना जाता है. भगवान गणेश स्वयं बुद्धि का अवतार हैं. अन्य दो गुणों को देवी के रूप में व्यक्त किया जाता है और उन्हें भगवान गणेश की पत्नियां माना जाता है. अधिकांश कलाकृतियां गणेशजी को दो पत्नियों के साथ दिखाती हैं, जिन्हें ऋद्धि और सिद्धि नाम दिया गया है. ऐसा माना जाता है कि ऋद्धि और सिद्धि भगवान ब्रह्मा की बेटियां थीं, जिन्होंने स्वयं भगवान गणेश का विवाह समारोह आयोजित किया था. शिव पुराण के अनुसार, भगवान गणेश के दो पुत्र हैं, जिनका नाम शुभ और लाभ है. शुभ और लाभ क्रमशः शुभता और लाभ के प्रतीक हैं. शुभ देवी ऋद्धि के पुत्र हैं और लाभ देवी सिद्धि के पुत्र हैं. गणेशजी के बारे में बताते हैं मुदगल और शिव पुराण (Shree Ganesh in Shiv Puran) भगवान गणेश की वैवाहिक स्थिति पर अलग-अलग मत हैं. एक मत के अनुसार श्री गणेश अविवाहित ब्रह्मचारी हैं. मुदगल और शिव पुराण भगवान गणेश के वैवाहिक जीवन के बारे में बताते हैं, जिन्हें प्रमाणिक माना जाता है. गणेश प्रतिमा में भगवान गणेश को हाथी के सिर वाले मानव शरीर के साथ दर्शाया जाता है. आमतौर पर उन्हें चार हाथों से दर्शाया जाता है. ऊपरी हाथों में एक फंदा और एक अंकुश होता है. भगवान गणेश के निचले हाथों में से एक को अभय मुद्रा में दिखाया गया है जबकि दूसरे निचले हाथ में वे मोदक से भरा कटोरा पकड़े हुए हैं. भगवान गणेश की सवारी चूहा है। महत्वपूर्ण पर्व-त्योहार (Shree Ganesh Parv-Tyohar) भगवान गणेश की जयंती गणेश चतुर्थी के रूप में मनाई जाती है. मुदगल पुराण के अनुसार, भगवान गणेश के 8 अवतार हैं, जिन्हें अष्ट विनायक के नाम से जाना जाता है. भगवान गणेश की पूजा 32 अलग-अलग रूपों में भी की जाती है. गणेशजी के मंत्र (Shree Ganesh Mantra) वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ यदि आप गणेश जी को प्रसन्न करना चाहते हैं, इस मंत्र का जाप करें. 'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा। यह विघ्नहर्ता मंत्र है.

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