Vrishabha Sankranti 2025: वृषभ संक्रांति का क्या है पुण्य काल मुहूर्त, कैसे करें पूजन

Vrishabha Sankranti 2025: जब सूर्य वृषभ राशि में प्रवेश करता है, तो वृषभ संक्रांति मनाई जाती है. वृषभ संक्रांति के दौरान गोदान अत्यधिक शुभ माना जाता है. 15 मई को वृषभ संक्रांति है. वृषभ संक्रांति सौर कैलेंडर में दूसरे महीने की शुरुआत का प्रतीक है. वर्ष में सभी बारह संक्रांति दान-पुण्य गतिविधियों के लिए अत्यधिक शुभ हैं. प्रत्येक संक्रांति क्षण से पहले या बाद में केवल कुछ अवधि तक ही संक्रांति से संबंधित गतिविधियों के लिए शुभ मानी जाती है. इस वर्ष वृषभ संक्रांति 15 मई (Vrishabha Sankranti 2025) को है. दान और पुण्य कमाने का समय (Vrishabha Sankranti Daan Kaal) द्रिक पंचांग में उपलब्ध जानकारी के अनुसार, वृषभ संक्रांति के लिए संक्रांति क्षण से पहले सोलह घटी (sixteen Ghatis) शुभ मानी जाती है. संक्रांति से पहले सोलह घटी से लेकर संक्रांति तक का समय सभी दान-पुण्य गतिविधियों के लिए बढ़िया माना जाता है. वृषभ संक्रांति के दौरान गाय को उपहार में देना जिसे गोदान भी कहा जाता है, अत्यधिक शुभ माना जाता है. दक्षिण भारत में संक्रांति को संक्रमनम कहा जाता है. वृषभ संक्रांति के लिए पुण्य काल मुहूर्त (Vrishabha Sankranti Muhurt) द्रिक पंचांग के अनुसार, वृषभ संक्रांति गुरुवार, 15 मई 2025 को है. वृषभ संक्रांति पुण्य काल - 05:30 AM से 12:18 PM अवधि - 06 घंटे 47 मिनट वृषभ संक्रांति महा पुण्यकाल - 05:30 AM से 07:46 AM सूर्य का वृषभ राशि में प्रवेश (Surya in Vrishabha Rashi) जब सूर्य वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं, तो वृषभ संक्रांति मनाई जाती है. इसे साल के सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है. इस दिन भक्त सूर्य भगवान का आशीर्वाद पाने और अपने जीवन के लिए अधिक पुण्य अर्जित करने के लिए उनकी पूजा करते हैं. सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के अवसर पर मकर संक्रांति मनाई जाती है. सूर्य के दक्षिणी गोलार्ध से उत्तरी गोलार्ध की यात्रा का उत्सव है मकर संक्रांति. इसे एक शुभ समय माना जाता है. मकर का अर्थ है 'मकर' और संक्रांति का अर्थ है 'संक्रमण'. वृषभ संक्रांति का महत्व (Vrishabha Sankranti Significance) वृषभ संक्रांति दान और पुण्य कर्म के लिए आध्यात्मिक महत्व रखती है. भक्तों का मानना है कि इस दौरान धार्मिक गतिविधियां करने से समृद्धि, शांति और आध्यात्मिक गुण प्राप्त होते हैं. पवित्र नदियों में स्नान और ध्यान-योग इस संक्रांति में प्रमुख हैं. इस अवसर पर सूर्य की उपासना विशेष फलदायी होती है. महत्वपूर्ण है वृषभ राशि (Vrishabha Rashi) वृषभ राशि के जातकों में वफ़ादारी और स्थिरता प्रबल होती है. प्रकृति से उनका गहरा जुड़ाव होता है और वे जीवन की बेहतरीन चीज़ों का आनंद लेते हैं. जीवन के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण उन्हें बेहतरीन योजनाकार बनाता है, वेदों में संक्रांति सूर्य की एक राशि (राशि चक्र का नक्षत्र) से दूसरी राशि में जाने को दर्शाती है। इसलिए, एक वर्ष में 12 संक्रांति होती हैं। इनमें से इसे 'पौष संक्रांति' भी कहा जाता है, इसे सबसे शुभ माना जाता है और यह उन कुछ हिंदू त्योहारों में से एक है जो सौर चक्र के साथ संरेखित होते हैं।

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