अमरनाथ गुफा में दर्शन देते हैं बाबा बर्फानी, क्या है अमरता का रहस्य

बाबा बर्फानी शिवजी जुलाई से अगस्त महीने तक जम्मू-कश्मीर के अमरनाथ गुफा में विराजेंगे. 3 जुलाई से बाबा के भक्त बालटाल और अनन्तनाग के रास्ते भगवान बर्फानी के दर्शन लिए निकाल पड़ेंगे. जानते हैं अमरनाथ शिवलिंगम की कथा और यहां तक कैसे पहुंचें. शिव ही सत्य और सुंदर हैं. बर्फ लिंगम के रूप में बाबा बर्फानी शिवजी अमरनाथ गुफा में अपने भक्तों को दर्शन देते हैं. महादेव शंकर के दर्शनार्थ आज भक्तों का पहला जत्था अमरनाथ यात्रा के लिए जम्मू से रवाना हो गया है. उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भगवती नगर बेस कैंप से यात्रा को हरी झंडी दिखाई. यात्री दोपहर बाद कश्मीर घाटी पहुंचेंगे. हालांकि आधिकारिक तौर पर यात्रा की शुरुआत 3 जुलाई से होगी. यह यात्रा 9 अगस्त तक चलेगी. जानते हैं अमरनाथ शिवलिंगम की कथा और यहां तक कैसे पहुंचें. अमरनाथ शिवलिंगम पौराणिक कथा (Amarnath Gufa Mythological Story) जम्मू -कश्मीर में अमरनाथ गुफा स्थित शिवलिंगम का दर्शन करने के लिए तीर्थयात्री अमरनाथ यात्रा पर जाते हैं. यहां भगवान शिव कुछ विशेष दिनों तक प्राकृतिक बर्फ के शिवलिंग के रूप में विराजते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव ने पार्वती जी को इसी गुफा में अमरता का रहस्य बताया था. कथा है कि माता पार्वती अमरता का रहस्य जानना चाहती थीं. उन्होंने शिव से अमर होने की कथा बताने के लिए कहा। शिव जी ने यह पवित्र कथा कहने के लिए एकांत स्थान की तलाश में अमरनाथ गुफा को चुना. किसी और को प्रवचन सुनने से रोकने के लिए शिव ने रुद्र (कालाग्नि) बनाया और उसे गुफा के चारों ओर आग जलाने का आदेश दिया ताकि सभी जीवित प्राणी नष्ट हो जाएं. शिवजी के सावधानी बरतने के बावजूद शिव जिस हिरण की खाल पर बैठ कर कथा सुना रहे थे, उसके नीचे छिपे दो कबूतरों के अंडों से कबूतरों का एक जोड़ा निकला. वे शिव जी की अमर कथा सुनकर अमर हो गए. माना जाता है कि दिव्य कथा के साक्षी ये कबूतर आज भी तीर्थयात्रियों को दिखाई देते हैं. अमरनाथ गुफा और शिवलिंग (Amarnath Gufa & Shivling) गुफा एक प्राकृतिक संरचना है, जो अमरनाथ तीर्थयात्रा का केंद्र बिंदु है. गुफा के अंदर बर्फ का शिवलिंग प्राकृतिक स्टैलेग्माइट संरचना है. यह आमतौर पर लगभग 5 फीट (1.5 मीटर) ऊंचा होता है. यह गुफा अमरनाथ पर्वत पर 3,888 मीटर (12,756 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है. यह जिला मुख्यालय अनंतनाग से लगभग 168 किमी और श्रीनगर से 141 किमी दूर है. अंदर बर्फ का शिवलिंग चंद्रमा चक्र के साथ घटता-बढ़ता रहता है. गर्मी में यह अपनी चरम ऊंचाई पर पहुंचता है. अमरनाथ गुफा की खोज (Amarnath Gufa) अमरनाथ गुफा की खोज के संबंध में दो मुख्य मान्यताएं प्रसिद्ध हैं. एक मान्यता के अनुसार, ऋषि भृगु ने सबसे पहले अमरनाथ गुफा के दर्शन किए थे. उस समय कश्मीर घाटी पानी से भरी हुई थी. ऋषि कश्यप ने इसे सुखा दिया था. दूसरी मान्यता के अनुसार, वर्ष 1850 में एक मुस्लिम चरवाहाजिसका नाम बूटा मलिक था. उसने सबसे पहले गुफा की खोज की थी. कहानी है कि बूटा मलिक भेंड़ चराता था. अपनी भेड़ें चराते हुए गुफा के पास पहुंचा. वहां उसे एक साधु मिले. उन्होंने उसे कोयले से भरा एक थैला दिया. घर पहुंचकर जब उसने थैला खोला तो उसमें सोने के सिक्के थे. साधु की तलाश में वह वापस उस स्थान पर गया, जहां उसे गुफा मिली. गुफा में बर्फ का शिवलिंग था. हालांकि अमरनाथ गुफा की खोज के सटीक समय पर बहस होती है, पर बूटा मालिक की किंवदंती अधिक प्रसिद्ध है. क्या है यात्रा का महत्व (Amarnath Yatra Spiritual Significance) अमरनाथ यात्रा भक्तों के लिए एक गहरी आध्यात्मिक यात्रा है. भक्तगण मानते हैं कि गुफा में जाने और बर्फ के शिवलिंग के दर्शन करने से उनके पाप धुल जाते हैं और मोक्ष (मुक्ति) की प्राप्ति होती है. कब और कैसे की जाती है यात्रा (Amarnath Yatra Date & Timing) यात्रा गर्मी के महीनों में की जाती है. आमतौर पर यह महीना जुलाई और अगस्त के बीच होता है. इस समय बर्फ के शिवलिंग अपने बढ़ते चरण में होते हैं. दक्षिण कश्मीर के पहलगाम से अमरनाथ गुफा की दूरी करीब 46 किलोमीटर है. इसे पैदल पूरा करना पड़ता है. इसमें आमतौर पर पांच दिन तक का समय लग जाता है. सोनमर्ग में बालटाल से एक और रास्ता है. बालटाल से अमरनाथ गुफा की दूरी महज 16 किलोमीटर है. लेकिन कठिन चढ़ाई के कारण यह रास्ता काफी कठिन माना जाता है. बालटाल मार्ग के लिए यात्रा आधार शिविर गंदेरबल जिले में बालटाल (सोनमर्ग के पास) स्थित है. वहीं पहलगाम मार्ग के लिए यात्रा आधार शिविर अनंतनाग जिले में नुनवान स्थित है. क्या है इस बार तैयारी (Amarnath Yatra Preparation) इस बार अमरनाथ यात्रा को सफल और शांतिपूर्ण बनाने के लिए कश्मीर में सुरक्षा बलों की कुल 581 कंपनियां तैनात की गई हैं. अनंतनाग के पहलगाम और बालटाल रूट पर जगह-जगह सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है. अमरनाथ जाने वाले दोनों रूट पर कई जगहों पर बंकर बनाए गए हैं. पहलगाम के लांगलबल प्वाइंट पर किसी भी संदिग्ध व्यक्ति की पहचान के लिए फेस रिकग्निशन कैमरे लगाए गए हैं. इन कैमरों से उन लोगों की पहचान की जा सकेगी, जिनका नाम पहले से ही आपराधिक गतिविधियों के चलते पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज है. इस बार अमरनाथ यात्रा के दोनों रूट (पहलगाम और बालटाल) को 'नो फ्लाइंग जोन' बना दिया गया है. इसका मतलब है कि इस इलाके में हेलीकॉप्टर, ड्रोन और गुब्बारे नहीं उड़ सकेंगे. पुलिस के अनुसार, अगर कोई इन दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. यह पहली बार है जब किसी यात्रा के लिए इस तरह के इंतजाम किए गए हैं. अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है या नहीं (Amarnath Yatra Registration) अमरनाथ यात्रा के लिए पंजीकरण अनिवार्य है. इसे बताए गए केंद्रों के माध्यम से ऑनलाइन या ऑफलाइन किया जा सकता है. तीर्थयात्रियों को यात्रा परमिट, अनिवार्य स्वास्थ्य प्रमाणपत्र (सीएचसी) और आरएफआईडी कार्ड प्राप्त करना होता है. यात्रा में चुनौतीपूर्ण हिमालयी इलाके से ट्रैकिंग की जाती है. इसलिए शारीरिक फिटनेस जरूरी है।

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