कठिन अनुभवों से मिलती है सीख
कठिन अनुभवों से मिलती है सीख हम जीवन भर कठिन परीक्षाओं से गुजरते रहते हैं। कई बार हमसे गलतियां भी हो जाती हैं; पर खुद के अनुभवों से ही सीख मिलती है और हम बनते हैं सद् मानव। उन्नीसवीं सदी के अंतिम दशकों में यथार्थवादी कहानियों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में नि:संदेह एक नाम फ्रेंच लेखक गाय डे मोपांसा का है। उन्होंने मात्र 43 वर्ष की आयु में तीन सौ से अधिक कहानियां और छह उपन्यास लिख डाले। उनकी ज्यादातर कहानियां यथार्थ का ही चित्रण करती हैं। मोपासा के बारे में यह प्रचलित है कि माता-पिता के संबंध विच्छेद ने उनके मन-मस्तिष्क को गहरे तक प्रभावित किया और युवावस्था में वे कई गलत व्यसनों के शिकार हो गए। वे दिन भर यारों-दोस्तों के साथ मौज-मस्ती करते रहते। इसी दौरान उन्हें एक लाइलाज बीमारी हो गई। इस बीमारी ने उन्हें सत्य से परिचय करा दिया। उन्हें यह एहसास होने लगा कि अब तक का जीवन उन्होंने व्यर्थ ही गंवा दिया। वे अब कौन-सा काम करें जिससे जीविकोपार्जन के साथ-साथ जीवन की सार्थकता भी सिद्ध हो। तभी उन्होंने निश्चय किया कि शेष जीवन को सृजनात्मक कार्यों में लगाया जाए। उनके पास विविध अनुभवों का खजाना थ...